फांसी की सजा के बारे में तो आप लोगों ने सुना हीं होगा। जब भारत में अंग्रेजों का शासन था उस समय भी फांसी की सजा दी जाती थी। 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत में फांसी की सजा यथावत बनी रही इसके अंतर्गत कई बार दोषियों को फांसी की सजा दी भी गई।
उसी संदर्भ में आज हम फांसी से जुड़ी हुई एक अनोखी घटना बताने जा रहे हैं। यह घटना अनोखी इसलिए है क्योंकि इस बार किसी महिला को फांसी की सजा दी जा रही है। आजाद भारत में यह पहली घटना होगी जब किसी महिला को फांसी दी जाएगी।

उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के शबनम और उसके प्रेमी सलीम को एक साथ फांसी दिया जाएगा। उत्तर प्रदेश के मथुरा स्थित फांसी घर में जो उत्तर प्रदेश का एकमात्र फांसी घर है वहीं पर शबनम को फांसी पर लटकाया जाएगा। इसके लिए मथुरा स्थित फांसी घर में तैयारियां शुरू हो गई है। निर्भया के दोषियों को फांसी पर लटकाने वाला पवन जल्लाद इस फांसी घर का दो बार निरीक्षण भी कर चुका है। सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद भारत के राष्ट्रपति ने भी इस सजा को बरकरार रखा है।
मथुरा फांसी घर के निरीक्षण के बाद पवन जल्लाद को तख्ता लीवर में कुछ कमी दिखाई दी जिसके बाद प्रशासन ने संज्ञान लिया है। फांसी के दौरान कोई अड़चन पैदा ना हो जिसके लिए बिहार राज्य के बक्सर जिले से फांसी के लिए राशि मंगवाई जा रही है।

अमरोहा जिले के हसनपुर क्षेत्र के बावनखेड़ी गांव के रहने वाले शौकत अली की एकलौती बेटी है शबनम जिसके सलीम के साथ प्रेम संबंध थे। शबनम एम ए की हुई थी जबकि सलीम पांचवी फेल था। दोनों के प्रेम संबंधों को शबनम के परिवार वाले विरोध कर रहे थे जिसके बाद शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर एक खूनी खेल खेला जो रूह को कंपा देने वाला था। शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर 14 अप्रैल 2008 को एक दर्दनाक घटना का अंजाम दिया। उसने अपने माता-पिता और 10 माह के भतीजे समेत परिवार के 7 सदस्यों को बेहोशी की दवा खिलाई उसके बाद उसने सभी को एक-एक करके कुल्हाड़ी से काटकर मार डाला। यह घटना इतनी निंदनीय है जिसकी भर्त्सना के लिए शब्द कम पड़ जाएंगे।
भला कोई अपने माता-पिता या अभिभावक के लिए करना तो दूर ऐसा सोच भी कैसे सकता है। शबनम और उसके प्रेमी सलीम ने सारी हदें पार करते हुए एक दर्दनाक घटना को अंजाम दिया जिसके फलस्वरूप आज उन दोनों को फांसी होने जा रही है।