ज़्यादातर लोगों को लगता है कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए पैसा होना बहुत ज़रूरी है, लेकिन ऐसा नहीं हैं। आज हम एक ऐसे व्यक्ति की बात करेंगे, जिसने बिना किसी पूंजी के बिलियन डॉलर कंपनी का गठन किया है। उस व्यक्ति का नाम श्रीधर वेम्बू है। उन्होंने एडवेंट नेट नामक एक कंपनी की शुरूआत की है। इस कंपनी की प्रोडक्टिविटी सुइट जोहो सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री दुनिया के अधिकतर लोगों के लिए जाना-पहचाना नाम है।
श्रीधर वेम्बू (Sridhar vembu) की कहानी
श्रीधर वेम्बू की यह बिना पूंजी वाली कंपनी साल 2019 में कुल 3308 करोड़ का रेवेन्यू किया था। श्रीधर का जीवन किसी भी युवा के लिए प्रेरणा के पात्र हैं। चेन्नई के रहने वाले श्रीधर का बचपन एक बहुत ही साधारण परिवार में बिता। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई एक तमिल मीडियम सरकारी स्कूल से की। उसके बाद उन्होंने आई.आई.टी मद्रास से अपनी पढ़ाई पूरी की। श्रीधर शुरू से ही पढ़ाई में बहुत अच्छे थे। वह इलेक्ट्रॉनिक्स में पढ़ाई करना चाहते थे परंतु उन्होंने कंप्यूटर साइंस से पढ़ाई की।

सॉफ्टवेयर वेंचर एडवेंट नेट की हुई शुरुआत
श्रीधर जिस इंस्टिट्यूट में पढ़ाई करते थे, उसमें वह पीएचडी करने के योग्य नहीं थे इसलिए उन्होंने साल 1989 में प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में अपनी डॉक्टरेट की पढ़ाई पूरी की। पीएचडी की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह बेस्ड भाई के साथ भारत लौट आये। यहां उन्होंने सॉफ्टवेयर वेंचर एडवेंट नेट की शुरुआत की। बहुत ही कम समय में उनके 150 कस्टमर बन गए। साल 2000 में श्रीधर के सामने बहुत बड़ी मुसीबत आ गई तब उन्होंने कुछ नया करने का फैसला किया।
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जोहो से हुआ मुनाफा
कुछ अलग करने की चाह में श्रीधर ने जोहो की शुरूआत की। इससे अब इंटरनेट के जरिये जोहो ऑफिस सुइट बेचा जा रहा है। इसके जरिए ही श्रीधर को 500 मिलियन डॉलर का राजस्व प्राप्त हुआ। अब जोहो सेल्सफोर्स की कस्टमर रिलेशन मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर और गूगल डॉक्स को बराबर की टक्कर दे रही है। जोहो अपने कार्यों से बहुत से सफल कारोबारियों को मदद कर रहे हैं। 50 मिलियन से ज़्यादा जोहो का उपयोग करने वाले हैं। साथ ही जोहो छोटी कंपनियों को कस्टमर रिलेशनशिप मैनेजमेंट की सेवा मुफ्त में उपलब्ध करा रही हैं, तो वही बड़ी कंपनियों को इसके लिए 10 डॉलर का भुगतान करना पड़ता है।

श्रीधर को इस क्षेत्र में धमकियां तक मिली
श्रीधर की यह कंपनी बहुत ही जल्द दुनिया के कामयाब कंपनियों में से एक बन गई। एक जाने माने अमेरिकन इंटरप्रेन्योर, जो की सेल्सफोर्स के फाउंडर मार्क बेनिऑफ हैं। उन्होंने श्रीधर को धमकाया और जोहो को खरीदने की भी कोशिश की परंतु वह इसमें सफल नहीं हो पाए। मार्क ने कहा कि गूगल एक दानव है और इसके साथ आप मुकाबला भी नहीं कर सकते हैं। तब श्रीधर ने कहा कि उसे गूगल से डरने की जरुरत है। मुझे तो जिन्दा रहने के लिए सिर्फ सेल्सफोर्स से अच्छा करने की जरूरत है। श्रीधर का मानना है कि सभी स्टार्टअप को बिना किसी फंडिंग के अपना बिज़नेस शुरू करना चाहिए। इसके अलावा वह कहते हैं कि सभी को यह कला सीखना चाहिए कि कस्टमर्स दाम देने पर विवश हो जाए।

श्रीधर नवयुवकों को देते हैं मौका
श्रीधर के कंपनी में मुग़ल माइक मोरिट्ज़ जैसी बहुत सी बड़ी कंपनियों ने इन्वेस्ट करने की कोशिश की है लेकिन श्रीधर ने कभी इसे स्वीकार नहीं किया। श्रीधर अपनी कंपनी में बड़ी डिग्री वालों को नौकरी नहीं देते बल्कि वह नवयुवकों को चुनते हैं। श्रीधर का कहना है कि हम कॉलेज की डिग्री या ग्रेड नहीं देखते क्योंकि भारत के सभी व्यक्ति ऊंचे आर्थिक स्तर से नहीं आते और न ही उन्हें टॉप रैंक के इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ने का मौका मिल पाता हैं। श्रीधर हर युवा के लिए बहुत बड़े उदाहरण बन चुके हैं। उन्होंने यह साबित कर दिया कि पैसे के पीछे भागने से कामयाबी हासिल नहीं होती।
श्रीधर गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा उपलब्ध करा रहे हैं
श्रीधर इतना बड़ा कारोबार करने के साथ-साथ तमिलनाडु के एक छोटे से गांव में पिछले एक वर्षों से गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा उपलब्ध करा रहे हैं। वह चाहते हैं कि शिक्षा का एक ऐसा मॉडल तैयार हो, जिसमें डिग्री और नंबरों को महत्व ना हो। उनका लक्ष्य बच्चों को ज़मीनी तौर पर शिक्षित करने का है। श्रीधर को उनके कारोबारी क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें साल 2021 में देश के चौथे सर्वश्रेष्ठ नागरिक सम्मान पद्मश्री पाने वाले सूची में नामित किया गया है। जहां सिर्फ़ विदेशी कंपनियों का बोलबाला था, उस बीच श्रीधर ने अपनी एक अलग ही पहचान बनाई है।