जैविक खेती में पैदा हुए उत्पादों की मांग पूरी दुनिया में बढ़ रही है। भारत में भी इसकी मांग में तेजी से इजाफा हो रहा है।कई किसान जैविक खेती करके खूब मुनाफे कमा रहे है। आज हम आपको एक ऐसे ही व्यक्ति के बारे में बताएंगे जिन्होंने अपने पिता के घाटे की खेती को मुनाफे में बदल दिया है और यह कमाल उन्होंने आर्गेनिक खेती के माध्यम से ही किया है। आइये जानते है उनके बारे में।
महेश पटेल का परिचय

महेश पटेल सूरत (गुजरात) के ओलपाड के रहने वाले हैं। आज उन्होंने अपने खेती के जरिए किसानों के बीच अपनी एक अलग पहचान कायम की है। महेश पिछले 26 सालों से खेती कर रहे हैं। उन्होंने साल 1995 से ऑर्गेनिक खेती करना शुरू किया था। महेश आज अपने खेत से 22 तरह के ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स बेच रहे हैं। साथ ही साथ वह अपने इलाके के किसान भाइयों को इस ऑर्गेनिक खेती का प्रशिक्षण भी दे रहे हैं।
नए तरीकों को अपनाया
महेश पारम्परिक तरीका न अपनाकर नया तरीका पर ज्यादा बल दे रहे हैं। अपनी खेती में आज वो केमिकल का उपयोग नही करते है पर पहले ऐसा नही था। महेश बताते है कि वह जब अपने पिता के साथ खेती करने की शुरुआत की थी तब वह केमिकल रहित फसलों का उत्पादन किया करते थे पर अब वो केमिकल का इस्तेमाल नही करते। महेश आज केमिकल रहित चना, तुवर, मौसमी सब्जियां और फलों की खेती करते हैं।
ऑर्गेनिक किसान बनें महेश

महेश बताते है कि एक दिन जब उनके खेतों में कीटनाशक दवा का छिड़काव हो रहा था तो उन्हें अपने खेतों में जाने में अजीब सा महसूस होने लगा। महेश को सांस लेने में भी तकलीफ होने लगी। तभी उन्होंने सोचा कि यह लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है। बस क्या था तभी से वह ऑर्गेनिक किसान बन गए। आज महेश अपने पूरे इलाके में इस नाम से जाने जाते हैं। सब्जियों को छोड़कर तकरीबन वह अपने सभी फसलों में वैल्यू एडिशन का काम कर रहे हैं।
गोबर से बने कीटनाशक का इस्तेमाल

फसलों को बचाने के लिए महेश आज गोबर निर्मित कीटनाशकों का प्रयोग कर रहे हैं। उन्होंने इसके लिए अपने घर पर चार गायें भी पाल रखी है। गाय के गोबर का भंडारण करके वह कीटनाशक बनाते है और इसी का उपयोग खेतों में फसलों के लिए किया जाता है। पूरे जैविक तरीके से खेती करके महेश लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक भी करना चाहते है।
हल्दी की खेती से मुनाफा

महेश अपनी खेती में हल्दी से भी अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। शुरुआती दिनों में उन्हें इस खेती के दौरान घाटा हुआ था पर उन्होंने अपने एक मित्र से हल्दी की खेती से जुड़े तौर-तरीकों को सिखा। बाद में उन्होंने इससे अच्छा मुनाफा कमाया। वर्तमान में महेश अपने एक बीघा जमीन से 50 हजार रूपये का मुनाफा कमा रहे हैं। वह अपने 7 बीघा खेत में हल्दी की खेती कर रहे हैं। वह 20 किलो कच्ची हल्दी से तीन किलो पाउडर बनाते हैं, जिसे वह तकरीबन 300 रुपये प्रति किलो बेच रहे हैं। पिछले साल महेश को 30 टन हल्दी का उत्पादन हुआ था, जबकि इस साल उन्हें तक़रीबन 40 टन हल्दी के उत्पादन की उम्मीद है।
महेश आज अपने आसपास के किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बन गए हैं। महेश की जितनी तारीफ की जाए कम है।