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Tuesday, September 26, 2023
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Historical Places In India: क्या आप इन 5 भारतीय स्मारकों के बारे में जानते हैं जिन्हें महिलाओं ने बनवाया था, जानिए इतिहास

आज 21वीं सदी की महिलायें चांद पर परचम फहरा रही हैं। लेकिन इतिहास गवाह है कि भारत में बहादुर महिलायें काफी पहले से हैं।

जब देश में अंग्रेजों और मुगलों का शासन था उस समय में भी महिला शासक सक्रिय भूमिका में रही हैं। उन्‍होंने अपनी साहस और ताकत से अग्रेंजों का सामना किया।इतना ही नहीं उन्‍होंने अग्रेंजों के साथ कई बड़े बड़े युद्ध किये हैं। आज हम आपको बताएंगे कि इन बहादुर महिला शासकों ने कई भारतीय स्मारकों को भी बनवाया था। आइये जानते है इन स्मारकों के बारे में।

महिला शासकों ने स्मारक बनवाया

अक्सर हम किताबों में पुरुष शासकों के बारे में सुनते आए हैं। पर भारत में कई ऐसी महिला शासक थी जिन्होंने भारत के कई स्मारकों को बनवाया। आइये जानते हैं की यह कौन-कौन से स्मारक थे।

हुमायूं का मकबरा

Humayu Tomb

दिल्ली के मथुरा रोड और लोधी रोड की क्रासिंग के समीप स्थित, बागीचे के बीच बना यह शानदार मकबरा भारत में मुग़ल वास्तुकला का पहला महत्वपूर्ण उदाहरण है। इसका निर्माण हुमायूं की मृत्यु के बाद 1565 ई. में उसकी ज्येष्ठ विधवा बेगा बेगम ने करवाया था। यमुना का तट निजामुद्दीन दरगाह के निकट होने के कारण ही हुमायूँ के मकबरे को यमुना तट पर ही बनाया गया था।इतिहासकार इस बात की भी पुष्टि करते हैं कि रानी मकबरे की देखरेख में घनिष्ठ रूप से शामिल थी। लोक कथाओं में यह भी है कि उसका निर्णय था कि मकबरा यमुना नदी के पास सबसे शांत और सुंदर स्थल पर हो।

इतिमाद-उद-दौला का मक़बरा

I’timād-ud-Daulah

सम्राज्ञी नूरजहां ने अपने पिता की स्मृति में आगरा में एतमादुद्दौला का मकबरा बनवाया था। यह उसके पिता घियास-उद-दीन बेग़, जो जहांगीर के दरबार में मंत्री भी थे, की याद में बनवाया गया था। मुगल काल के अन्य मकबरों से अपेक्षाकृत छोटा होने से, इसे कई बार श्रंगारदान भी कहा जाता है। यह पहली मुगल संरचना थी, जो पूरी तरह से संगमरमर से निर्मित थी। यमुना के तट पर बनाया जाने वाला पहला मकबरा था, जो उस समय सुंदर सुख बगीचों का एक उदाहरण था।

रानी की वाव

Rani ki Vav

रानी की वाव भारत के गुजरात राज्य के पाटण ज़िले में स्थित सीढ़ीदार कुआँ है। यह बावड़ी एक भूमिगत संरचना है जिसमें सीढ़ीयों की एक श्रृंखला, चौड़े चबूतरे, मंडप और दीवारों पर मूर्तियां बनी हैं जिसके जरिये गहरे पानी में उतरा जा सकता है। यह सात मंजिला बावड़ी है जिसमें पांच निकास द्वार है और इसमें बनी 800 से ज्यादा मूर्तियां आज भी मौजूद हैं। कहते हैं रानी की वाव को रानी उदयामती ने अपने पति राजा भीमदेव की याद में वर्ष 1063 में बनवाया था। राजा भीमदेव गुजरात के सोलंकी राजवंश के संस्थापक थे। भूगर्भीय बदलावों के कारण आने वाली बाढ़ और लुप्त हुई सरस्वती नदी के कारण यह बहुमूल्य धरोहर तकरीबन 700 सालों तक गाद की परतों तले दबी रही। बाद में भारतीय पुरातत्व विभाग ने इसे खोजा।

मिरजान किला

Mirjan Fort

मिर्जन किला दक्षिणी के उत्तर कन्नड़ जिले के पश्चिमी तट पर स्थित है। भारतीय राज्य कर्नाटक में यह किला अतीत में कई लड़ाइयों का स्थान था। यह किला ऊंची दीवारों और ऊंचे गढ़ों की डबल परत से घिरा हुआ है, जिसे गरसोप्पा की रानी, चेन्नाभैरादेवी द्वारा बनवाया गया। उन्हें रैना दे पिमेंता भी कहा जाता था जिसका मतलब काली मिर्च की रानी है।

खैर-अल-मंजिल मस्जिद

Khair -ul- Manzil Mosque

खैर-अल-मंजिल मस्जिद का निर्माण महम अंगा ने करवाया था जो बादशाह अकबर की पालक माँ जेसी थीं। ऐसा कहा जाता है अकबर पर मस्जिद के पास एक हत्यारे ने हमला किया था, जब वह निजामुद्दीन दरगाह से लौट रहा था। बाद में इसे मदरसे के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा। वर्तमान में यह भवन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संरक्षण में है।

आशा है आपको यह जानकारी पसंद आई होगी।

Sunidhi Kashyap
सुनिधि वर्तमान में St Xavier's College से बीसीए कर रहीं हैं। पढ़ाई के साथ-साथ सुनिधि अपने खूबसूरत कलम से दुनिया में बदलाव लाने की हसरत भी रखती हैं।
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