अपनी मातृभूमि के प्रति प्रेम और उसके लिए कुछ भी करने के उत्साह और बलिदान की भावना रखने वाले को ही देश भक्त कहा जाता है।
आज हम आपको एक ऐसे ही देशभक्त के बारे में बताएंगे जिन्होंने अपने शहर को कचरा मुक्त बनाने के लिए विदेश की नौकरी को छोड़ दिया। आइये जानते है उनके बारे में।
संजय कुमार गुप्ता का परिचय
संजय कुमार गुप्ता असम के तिनसुकिया के रहने वाले हैं। संजय की प्रारंभिक शिझा भी यही से हुई है। संजय में अपने मातृभूमि के लिए प्रेम बचपन से ही था। उनका अपने देश, अपनी मातृभूमि का यह प्रेम उन्हें विदेश से अपने शहर खिंच लाया। उन्होंने अपनी अच्छी खासी नौकरी को ठुकराकर अपने शहर को साफ और सुंदर बनाया।
शहर की याद आई संजय को
वर्ष 2017 में संजय स्विट्ज़रलैंड में थे और वह Skat Foundation के साथ काम कर रहे थे। उस वक़्त उन्होंने अखबार में पढ़ा कि उनका शहर सबसे गंदा शहर है तभी तो उन्होंने इस पर ध्यान नही दिया बाद में उन्हें लगा कि मैं पूरी दुनिया में स्वक्षता के लिए काम कर रहा हूं तो अपने शहर में क्यों नही कर सकता। बस यही सोच उन्हें अपने शहर खींच लाई।
संगठन का निर्माण किया
अपने शहर लौटते ही संजय ने 2018 में ‘केयर नॉर्थ ईस्ट फाउंडेशन‘ की निर्माण की।जिसके जरिये वह न सिर्फ तिनसुकिया बल्कि तीताबर जैसे शहर को भी ‘कचरा मुक्त’ करने में जुटे हैं। अपने संगठन के जरिए उन्होंने 100 से ज्यादा लोगों को रोजगार भी दिया हुआ है, जिसमें अधिकांश महिलाएं हैं। अब तक उन्होंने तिनसुकिया के 50% से अधिक इलाकों को कचरा मुक्त कर दिया है। वहीं, तीताबर साल 2020 में ही कचरा मुक्त शहर बन गया था और अब यहां के नागरिक इस पहचान को कायम रखने के कोशिश में लगे हुए हैं।
लोगों का मिल रहा है साथ
जब संजय अपने शहर आए थे तब उनका शहर बहुत ही गंदा था। पर आज उनके प्रयास से उनके शहर में काफी सुधार आ रहा है। इस नेक काम में वहां के स्थानीय निवासी भी संजय का बखूबी साथ दे रहे हैं। आज संजय लोगों के सहयोग से अपने शहर को साफ और सुंदर बनाने में जुटे हुए हैं। अगर ऐसा ही सहयोग रहा तो आने वाले दिनों में उनका शहर सबसे साफ और सुंदर होगा। संजय का कहना है कि वह इसके लिए निरंतर काम कर रहे हैं।
पढ़ाई के दौरान भी स्वच्छता पर काम किया
संजय जब जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) से मास्टर्स और पीएचडी की पढ़ाई कर रहे थे तो उन्होंने वहां भी अपनी पढ़ाई के साथ-साथ कैंपस में स्वच्छता पर काम किया। उन्होंने सभी छात्रों के साथ मिलकर कैंपस को कचरा मुक्त बनाने का संकल्प लिया था। पढ़ाई के दौरान ही संजय विभिन्न संगठनों से जुड़ते चले गए। अभी वो स्विट्ज़रलैंड में Skat फाउंडेशन के साथ बतौर कंसलटेंट भी जुड़े हुए हैं।
नगर निगम के साथ मिलकर काम शुरू किया
संजय ने अपने शहर लौटने के बाद नगर निगम के साथ मिलकर काम करना शुरू किया। उन्होंने लोगों को जोड़ना शुरू किया और कचरों के निपटारन के लिए योजनाएं बनानी शुरू की।
कुछ योजना के साथ उन्होंने अपना काम शुरू किया जिसमें घर-घर जाकर कचरा को जमा करना, सभी कचरे को अलग-अलग करना, घरों में कंपोस्टिंग के लिए प्रेरित करना,सार्वजनिक छुट्टियों वाले दिन स्वच्छता अभियान किया जाना आदि शामिल था।
52 लाख प्लस्टिक की बोतलें इकठ्ठा की
संजय ने अपने संगठन के सदस्यों के साथ मिलकर पूरे शहर से 52 लाख प्लास्टिक की बोतल इकट्ठा करके उसे रीसाइक्लिंग यूनिट्स पर भेजा। संजय के टीम में जितने भी सदस्य हैं उनका पूरा ख्याल संजय रखते हैं। सभी सदस्य को यूनिफॉर्म मिला हुआ है सभी अपने-अपने पोशाक में अपने काम को अंजाम देते हैं। उन्होंने अपने टीम का नाम
‘स्वच्छ सेना’ रखा है। संजय का लक्ष्य है कि वह अपने शहर के साथ-साथ भारत के अन्य राज्यों को भी साफ और सुंदर बनाएं। संजय कुमार गुप्ता इसके लिए काम कर रहे हैं। आने वाले दिनों में उनका यह संगठन अन्य राज्यों में भी काम करता हुआ नजर आ सकता है।
आज संजय कुमार गुप्ता सभी लोगों के लिए प्रेरणा हैं। स्वच्छता के लिए किया गया उनका यह कार्य अद्भुत है।