कटहल से हम सभी भलीभांति परिचित हैं। यह शाकाहारी लोगों की बहुत ही पसंदीदा सब्जी है। शाकाहारी लोगों के लिये मार्केट में कटहल से बने ज्यादा प्रॉडक्ट नहीं हैं, ऐसे में एक युवक ने कटहल से 25 से अधिक प्रकार के व्यंजन बनाए हैं।
आलोक अवस्थी का परिचय
आलोक अवस्थी मूल रूप से उत्तरप्रदेश के सीतापुर ज़िला मुख्यालय से लगभग 60 किलोमीटर दूर रामपुर मथुरा ब्लॉक के शुक्लनपुरवा गांव के रहने वाले हैं। आलोक ने स्नातक की डिग्री हासिल की है। 26 वर्षीय आलोक ने कटहल के व्यंजनों पर एक रिसर्च करने के बाद लखनऊ के गोमतीनगर में एक रस्टोरेंट खोला है, जिसका नाम ‘द कटहल पॉइन्ट’ है।
आलोक अवस्थी बताते हैं, “मुझे लगता था बाज़ार में शाकाहारी लोगों के लिये व्यंजनों में बहुत कम विकल्प हैं इसलिए कटहल से कई तरह के व्यंजन बनाने का ख्याल मेरे दिमाग में आया। वहीं दूसरी तरफ बाज़ार में मिलने वाले फास्ट फूड सेहत के लिये बेहद हानिकारक होते हैं लेकिन इसकी सब्जियां सेहत के किये फायदेमंद हैं परंतु बाज़ार में अधिक व्यंजन उप्लब्ध नहीं हैं।”

आलोक अवस्थी कटहल की खूबियां गिनाते हुए कहते हैं,” मैंने कटहल पर दो वर्षों तक रिसर्च करने के बाद यह कार्य शुरु किया है। कटहल में फाइबर और जिंक पाया जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है।” आलोक कटहल से नमकीन और मीठे दोनों प्रकार के व्यंजन बनाते हैं। नमकीन व्यंजन में कटहल बिरयानी, कटहल चाप, कटहल कबाब, पापड़ और बर्गर लोगों को काफी पसंद आते हैं। मीठे व्यंजनों में कटहल खीर, हलवा और केक भी खुब पसंद किये जाते हैं। उन्होंने कहा कि ढ़ाई लाख रुपये से इस बिजनेस को आरंभ किया था। अभी बहुत अधिक लाभ नहीं है लेकिन इस बात की खुशी है कि लोगों को यह व्यंजन खुब भा रहे हैं।”
आलोक के लिए एक छोटे से गांव से निकलकर कटहल मैन बनने का सफर सरल नहीं था। आलोक की मां का देहांत बचपन में ही हो गया था। पिता बीमार हो गये थे, जिस वजह से परिवार की ज़िम्मेदारी 11 वर्ष में ही आलोक पर आ गई थी। उसके बाद आलोक लखनऊ में मज़दूरी करने आ गये।
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आलोक के अनुसार, “मां के देहांत के बाद घर की स्थिति ऐसी हो गई थी कि भर पेट खाना मिलना भी मुश्किल था। यह देखकर बुरा लगता था इसलिए मज़दूरी करने के लिए लखनऊ आ गये। मज़दूरी करने के साथ ही मैंने 9वीं तक की शिक्षा पूरी की। 10वीं की पढ़ाई करने के लिए पैसे नहीं थे इसलिए एक साइबर कैफे में 3 हज़ार रुपये महीने की नौकरी करनी शुरु कर दी। इसी तरह कई छोटी-छोटी नौकरी करते हुए स्नातक की शिक्षा पूरी की।” आलोक यह बताते हुये भावुक हो गये। “बचपन से मैं खाने का शौकीन था लेकिन 6 वर्ष की उम्र में ही जब मां का देहांत हो गया, तब मेरा यह शौक भी अधूरा रह गया। इंटर के बाद मैंने कई हॉस्टल में डेढ़ साल तक भोजन भी बनाया।”
कटहल से अधिक व्यंजन बनाने का ख्याल दिमाग में कैसे आया?
इस प्रश्न के उत्तर में आलोक कहते हैं, “मैं पढ़ाई और मज़दूरी करने के साथ कई छोटे-छोटे आंदोलनों में हिस्सा लेता था। लखनऊ में एक जगह है, जिसका नाम मैत्रीय आश्रम है, वहां भिन्न-भिन्न राज्यों से सामाजिक कार्यकर्ता आते हैं। वह जब भी लखनऊ आते थे, तब सब स्ट्रीट फूड खाने जाते थे। मैं और मेरे कुछ दोस्त भी शाकाहारी थे इसलिए हमलोगों के पास खाने का अधिक ऑप्शन नहीं होता था। तब मुझे लगा क्यों ना कुछ ऐसा शुरु करूं, जिससे शाकाहारी लोगों को भी स्वादिष्ट व्यंजन खाने को मिले और तब यह शुरु किया।”

रेड बिग्रेड नाम की गैर सरकारी संस्था के सहयोग से आलोक ने वर्ष 2019 में ‘द कटहल पॉइन्ट’ के नाम से लखनऊ में रेस्टोरेंट खोलने में सफल रहे। यहां से जुड़ीं पांच लड़कियों को आलोक ने अपने साथ कार्य पर रख लिया।
यहां काम करने वाली भारती कहती हैं, “कभी सोचा नहीं था कि कटहल से बने व्यंजन लोगों को इतना पसंद आयेगा लेकिन खुशी होती है कि लोग इसे बहुत पसंद कर रहे हैं। राज्यपाल ने भी हमारे व्यंजनों की खुब प्रशंसा की है।”

यूपी के राजभवन के लॉन में 6 से 8 फरवरी तक चली तीन दिवसीय प्रादेशिक फल, शाक-भाजी और पुष्प-प्रदर्शनी में आलोक ने स्टॉल लगाया था। पहले दिन राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने आलोक के स्टॉल पर जाकर कटहल से बने व्यंजनों की खुब सराहना की थी।
आलोक बताते हैं, “कभी नहीं सोचा था कि एक रेस्टोरेंट का मालिक बन जाऊंगा और दूसरों को रोज़गार भी दे पाऊंगा। जब लोग हमारे व्यंजनों की सराहना करते हैं, तब बहुत खुशी होती है।” आलोक ऐसे ही पांच स्टॉल सेंटर लखनऊ में खोलना चाहते हैं, जिससे कटहल जैसी सब्जियों के व्यंजन लोगों की पहली पसंद बन जाये।”