बिहार में शराब का सेवन बंद है पर यह अभी फिलहाल में लगभग चालीस लोग जहरीली शराब का सेवन कर अपनी जान गवां चुके है। यह घटना बिहार के ड्राई स्टेट होने पर प्रश्नचिन्ह लगाता है।
यह कोई पहली घटना नही है, ऐसे बहुत सी घटनाएं होती रहती है और इन मामलों में खजुरबानी कांड काफी चर्चित रहा जिसमे अवैध और जहरीली शराब के तस्करी के लिए कुछ लोगो को फांसी तक की सजा दी गई, जो कि बहुत ही कठोर सजा थी, फिर भी इसका सकरात्मक पहलू हमारे बीच कम उभर कर आया है।
2016 में लगा प्रतिबंध
साल 2016 में बिहार सरकार एक अधिनियम के तहत बिहार में शराब बनाने से लेकर बेचने तक पर प्रतिबंध लगा दिया गया।। इस पहल की पूरे देश में प्रशंसा हुई और खासकर बिहार की महिलाओं ने नीतीश कुमार का बहुत ही आधार जताया। इसके सकरात्मक पहलू को देखे तो बिहार में काफी लोगो ने शराब पीना बन्द कर दिया, जो पैसा शराब में जाता था अब वह पैसा बच्चों की शिक्षा, घर की जरूरतों में जाने लगा और बिहार के घरों में शराब के सेवन से मार-पीट में भी कमी आई।
कई जिलों में शराब का व्यापार
बिहार के विभिन्न क्षेत्रों में खासकर गोपालगंज, चंपारण, मुजफ्फरपुर में अवैध शराब का व्यापार चलता रहा। इस मामले में पिछले पाँच सालों में बिहार सरकार ने 3.46 लाख लोगों को गिरफ्तार किया है और 150 लाख लीटर शराब को जब्त भी किया है। शराब के ख़िलाफ़ जागरूकता फैलाने के लिए साल 2017 में बिहार में दुनिया का सबसे लंबा मानव श्रृंखला भी बनाया। इन सब को देखते हुए यह लगता है कि शराब बंदी के लिए बिहार सरकार ने महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। लेकिन विडम्बना यह है कि इतने सकारात्मक पहल के बाद भी अवैध और जहरीले शराब की तस्करी थम नही रही है।
शराबबंदी पर फिर से अभियान
इस घटना का संज्ञान लेते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि बिहार सरकार शराबबंदी के लिए फिर से अभियान चलाएगी, जो कि बहुत ही महत्पूर्ण कदम है लेकिन अभियान चला कर उसके परिणाम का भी समय-समय पर आकलन होना चाहिए। ऐसा पाया गया है कि अवैध शराब की तस्करी में कुछ प्रशासन के लोग भी शामिल है। अब देखने वाली बात होगी कि सरकार इन लोगों पर क्या कारवाई करती है और दुबारा चलाए जा रहे इस जनजागरूकता अभियान को कितना सफल कर पाती है।