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Thursday, June 1, 2023
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आइये जानते है 80 रुपये से करोड़ों के टर्नओवर तक पहुंचने वाले लिज्जत पापड़ के रोचक सफर के बारे में

सफलता एक ऐसी चीज है जो हमारे जीवन को सार्थक बनाती है। जीवन में यह सीढ़ी का वह उच्चतम बिंदु है जहां हम सभी पहुंचना चाहते है।

हमें अपने जीवन में सफल होने के लिए सभी चुनौतियों का सामना करने और इन चुनौतियों से पार पाने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। आज हम आपको एक ऐसी ही कहानी के बारे में बताएंगे जिसमें गुजरात की सात महिलाएं,अपने दम पर करोड़ों का बिजनेस खड़ा कर दिया। 90 के दशक में लिज्जत पापड़ का स्वाद लोगों के घरों तक ऐसा पहुंचा की आज तक लोगों की जुबान पर वो छाया हुआ है। आइये जानते है इस पापड़ के शुरुआत के बारे में।

गुजराती महिलाओं के द्वारा शुरुआत

90 के दशक में सात गुजराती महिलाओं ने पापड़ बनाने का काम शुरू किया। 1959 में मुंबई की रहने वाली जसवंती जमनादास पोपट ने अपना परिवार चलाने के लिए पापड़ बेलने का काम शुरू किया। उन्होंने इस काम में अपने साथ और छह गरीब बेरोजगार महिलाओं को जोड़ा और पापड़ बेलने का काम शुरु किया। यह सभी महिलाएं गुजराती परिवार से थीं। पापड़ का चुनाव इसलिए किया गया क्योंकि इन महिलाओं के पास बस यही एक हुनर था।

पैसे न होने के बावजूद शुरुआत

उन सभी महिलाओं के पास बिजनेस को चलाने के लिए पैसे नहीं थे। इस स्थिति में उन्होंने एक सामाजिक कार्यकर्ता छगनलाल कमरसी पारेख से 80 रुपये उधार लिए। उधार लिए पैसों से पापड़ को एक उद्योग में बदलने के लिए जरुरी सामग्री खरीदी गई। हुनर और मेहनत केदम पर काम चल निकला और कंपनी खड़ी हो गई। ये महिलाएं उस समय दो ब्रांड के पापड़ बनाती थीं जिनमें एक सस्ता होता था तो एक मंहगा। ल छगनलाल पारेख उर्फ छगनबप्पा ने इन महिलाओं को सलाह दी कि वो अपनी गुणवत्ता वाले पापड़ ही बनाएं। तब से यह महिलाएं गुणवत्ता को ध्यान में रखकर पापड़ बनाने लगीं।

बिजनेस में तरक्की

देखते देखते इस बिजनेस में 25 लड़किया काम करने लगीं। अब क्या था इन महिलाओं की मेहनत रंग लाई और इनकी बिक्री दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ती ही चली गई। महिलों की मेहनत रंग लाने लगी। अपने पहले ही साल में कंपनी ने 6196 रुपये का बिजनेस किया। धीरे-धीरे इस कंपनी में 300 महिलाएं काम करने लगीं। साल 1962 में पापड़ का नाम लिज्जत रखा साथ ही इस संगठन का नाम श्री महिला गृह उद्योग लिज्जत पापड़ रखा गया था।

करोड़ो में टर्न ओवर

वर्तमान में बाजार में इस ब्रांड के पापड़ समेत अन्य उत्पाद भी उपलब्ध हैं। वर्तमान में इस पापड़ के अलावा भी और भी कई तरह के पापड़ मौजूद हैं। लिज्जत पापड़ का टर्न ओवर आज करोड़ों में पहुंच गया है। लिज्जत पापड़ ने लगभग 43 हजार महिलाओं को रोज़गार दिया। लिज्जत पापड़ देश-विदेश में अपनी गुणवत्ता के कारण फेमस हैं। यहां अभी भी पापड़ों को मशीन से नहीं बल्कि हाथों से बनाया जाता है। लिज्जत पापड़ का बिज़नेस आज 1600 करोड़ से भी ज्यादा का है।

आज इन महिलाओं से सीखने की जरूरत है।

Medha Pragati
मेधा बिहार की रहने वाली हैं। वो अपनी लेखनी के दम पर समाज में सकारात्मकता का माहौल बनाना चाहती हैं। उनके द्वारा लिखे गए पोस्ट हमारे अंदर नई ऊर्जा का संचार करती है।
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