अक्सर लोग गरीबी से हार मानकर अपने सपने को छोड़ देते हैं, मगर उनमें से भी कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो हालात से लड़ने लगते हैं। आज हम एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बात करेंगे, जिसके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब थी मगर उसने बिना हार नहीं माने चुनौतियों का सामना किया और अपने कठिन परिश्रम से अपने सपनों को पूरा किया।
सुनील सिंह (Sunil Singh)
सुनील बिहार (Bihar) के बलिया ज़िले के रेवती थाना क्षेत्र के पियरौटा गांव के रहने वाले हैं। उनकी शुरूआती पढ़ाई उनके गांव से ही पूरी हुई। उसके आगे की पढ़ाई सुनील ने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट जनता जनार्दन इण्टर कालेज, गाजीपुर से किया। उसके बाद सुनील बीए इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पूरा किया फिर एमए इग्नू और आपदा प्रबंधन में डिप्लोमा किया।

सुनील के परिवार की स्थिति
सुनील की मां सुबसिनी सिंह (Subasini Singh) एक गृहणी हैं और उनके पिता यूपी हैंडलूम में काम करते थे। कुछ समय पहले सुनील के पिता मानसिक रूप से बीमार हो गए और साल 2012 में सुनील के चाचा ने परिवार को घर से बाहर निकाल दिया। उसके बाद सुनील दिल्ली में अपने परिवार के साथ रहने लगे और वहीं अपने पिता की सेवा करने लगे परंतु साल 2016 से उनके पिता दिल्ली से लापता हो गए।

सुनील बने नायब तहसीलदार
सुनील ने यूपी पीसीएस में सफलता हासिल की और नायब तहसीलदार बने। जब बुधवार को परिणाम आया तब परिजनों में खुशी का माहौल था। सुनील अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार और छोटे भाई प्रताप सिंह उर्फ सनी, बहन सुनीता सिंह और गुरुजनों और मित्र आकाशवाणी के निदेशक दिलीप शुक्ला को देते हैं।