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Thursday, June 1, 2023
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उत्तराखंड: जाने कैसी है पद्मश्री डॉ. अनिल प्रकाश जोशी के संघर्ष की कहानी, रह चुके है ‘मैन ऑफ द ईयर’

जितनी अजीब ये बाहर की दुनिया है, उससे भी ज्यादा अजीब हमारे अंदर की दुनिया है।इंसान अपनी जिन्दगी में हर कार्य सुख के अनुभव को प्राप्त करने के लिए करता हैं। अगर जिन्दगी में परम आनंद की प्राप्ति करनी है तो निस्वार्थ भाव से किसी गरीब की मदद करनी चाहिए।

आज हम आपको अनिल प्रकाश जोशी के बारे में बताएंगे जिन्होंने समाज सेवा करने और ग्रामिणों की स्थिति सुधारने के लिए अपनी सरकारी महाविद्यालय में प्राध्यापक की नौकरी तक छोड़ दी। उन्होंने उत्तराखंड से लेकर पूर्वोत्‍तर राज्यों तक के गांवों में उनके द्वारा किए गए कार्यों का ही परिणाम है कि वो आज पद्मभूषण सम्मान से सम्मानित हुए हैं। आइए जानते हैं उनके बारे में।

पर्यावरण से विशेष लगाव

उत्तराखंड के पौड़ी जिले के कोटद्वार के रहने वाले अनिल प्रकाश जोशी जी एक पर्यावरणविद हैं, जो पिछले 35 सालों से पर्यावरण के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। यहीं नहीं हिमालय पर्यावरण अध्ययन एवं संरक्षण संगठन को भी संचालित करते हैं जो देशभर में पर्यावरण संरक्षण का संदेश देती है। इन्होंने शुरू से ही गांव के लोगों और गांव के संसाधनों पर काम किया है। इन्होंने इस काम के लिए अपनी प्रोफेसर की नौकरी तक छोड़ दी और इस क्षेत्र में आ गए।

सरकारी नौकरी का त्याग किया

उन्होंने विभिन्न राज्यों में 10 हजार से अधिक गांवों को हेस्को के कराए गए कार्यों से लाभान्वित कर चुकें हैं। डॉ.जोशी को प्राध्यापक के पद पर नियुक्ति मिली, मगर में मन में हिमालय और पहाड़ की चिंता ही शुमार थी। अपनी सरकारी नौकरी के कारण वो इस काम को पूरा समय नहीं दे पा रहे थे। उनकी नौकरी उनके काम में बाधा बनने लगी थी जिसके बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी।

गांव में किया विशेष काम

उन्होंने स्थानीय संसाधनों के बेहतर उपयोग से आर्थिकी संवारने के लिए प्रसाद कार्यक्रम की उनकी मुहिम काफी प्रभावी रही है। वैष्णोदेवी, बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री में इस पहल के तहत स्थानीय फसलों पर आधारित प्रसाद स्थानीय लोगों से ही तैयार कराया गया। इससे रोजगार भी मिला और खेती को संबल भी। जल स्रोतों के संरक्षण पर भी कार्य किया गया है ।

कई सम्मान से सम्मानित

कौन बनेगा करोड़पति में भी शामिल डॉ.अनिल जोशी को उनले अतुलनीय कार्यों के लिए कई सम्मान से सम्मानित किया गया है। भारतीय समाज में उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया था यही नहीं उन्हें उत्तराखंड में सामाजिक कार्यों के लिए पद्मभूषण से भी सम्मानित किया गया है। उन्हें ग्रामीण विकास के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग में अपने प्रयासों के लिए जमनालाल बजाज पुरस्कार भी मिला है। आज उनकी जितनी भी तारीफ की जाए कम है। उन्होंने यह साबित कर दिया है कि समाज सेवा ही उत्तम सेवा है।

Medha Pragati
मेधा बिहार की रहने वाली हैं। वो अपनी लेखनी के दम पर समाज में सकारात्मकता का माहौल बनाना चाहती हैं। उनके द्वारा लिखे गए पोस्ट हमारे अंदर नई ऊर्जा का संचार करती है।
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