कुछ लोग शारीरिक रूप से अगर कमजोड़ होते है तो वह अपने सपनों को बुनने के बारे में सोचते भी नही हैं पर वहीं कुछ लोग अपनी कमजोड़ी को अपना ताकत समझ कर निरंतर अपने कर्तव्य पथ पर आगे की ओर बढ़ते रहते हैं।
आज हम आपको एक ऐसे ही महिला के बारे में बताएंगे जिन्हें लोगों ने असहाय समझा फिर भी उन्होंने हिम्मत नही हारी और 2016 रियो पैरा ओलिंपिक में सिल्वर मेडल जीतने का कृतिमान हासिल किया। आइये जानते है उनके बारे में।
दीपा मलिक का परिचय
दीपा मलिक का जन्म 30 सितंबर 1970 को हरियाणा के सोनीपत में हुआ था। दीपा की पृष्ठभूमि एक सैन्य परिवार से है। उनके पिता कर्नल बीके नागपाल हैं। रिटायर्ड कर्नल बिक्रम सिंह, दीपा के पति हैं। उनकी दो बेटियां हैं। उनकी बड़ी बेटी का नाम देविका है और छोटी बेटी का नाम अम्बिका है। दीपा ने 2016 पैरालंपिक में शॉटपुट में रजत पदक जीतकर इतिहास रचा दिया था।
बचपन में चलने में हुई असमर्थ
पांच साल की उम्र में दीपा को स्पाइन ट्यूमर हो गया था। जिसका तीन साल तक इलाज चला। वर्ष 1999 में, उन्हें फिर से स्पाइनल ट्यूमर हो गया। जिससे चलना उनके लिए असंभव हो गया। उसके बाद दीपा की सर्जरी हुई 183 टांके और तीन सर्जरी के बाद भी उनके कमर से नीचे लकवा मार गया। तब से दीपा व्हीलचेयर के लिए बाध्य हैं और चलने-फिरने में असमर्थ हैं।
परिवार के लोगों ने दिया साथ
दीपा की जब स्थिति ऐसी हुई तो उनके परिवार के लोगों ने उनका पूरा साथ दिया। उनके पति कारगिल युद्ध में थे फिर भी उन्होंने अपने पत्नी का पूरा ख्याल रखा। दीपा के पति कर्नल बिक्रम सिंह ने उन्हें यह विश्वास दिलाया कि वह उन्हें जीवन भर अपने साथ रखेंगे। परिवार ने दीपा का हर जगह साथ दिया।
खेलों में नाम रौशन किया
दीपा जब 30 साल की थीं, तब उन्होंने खेलों में अपना करियर बनाने का फैसला किया। वह पैरालम्पिक खेलों में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं और शॉट पुट में 2016 के ग्रीष्मकालीन पैरालिम्पिक्स में रजत पदक जीता। दीपा मलिक ने एक नहीं, बल्कि कई खेल श्रेणियों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया, जिसमें शॉट पुट, तैराकी, भाला फेंक, डिस्कस थ्रो और यहां तक कि मोटरसाइकिल भी शामिल हैं।
कई सम्मान से सम्मानित दीपा
दीपा मलिक को 2014 में राष्ट्रपति पुरस्कार मॉडल अवार्ड और 2012 में भारत सरकार द्वारा अर्जुन अवार्ड सहित दुनिया भर में अनेक पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्होंने पैरालिम्पिक्स में महिलाओं के शॉटपुट एफ 53 इवेंट में रजत पदक जीतकर इतिहास रच दिया। दीपा को उनके कार्य कौशल के बदौलत कई योजनाओं का “ब्रांड एंबेसडर” भी बनाया गया।
दीपा मलिक आज लाखों लोगों के लिए प्रेरणा हैं। उनकी जितनी तारीफ की जाए कम है।