दशहरे का त्यौहार अच्छाई की बुराई पर जीत होने के लिए मनाया जाता है।
प्रत्येक वर्ष दशहरे के दिन जगह-जगह पर रावण के पुतले जलाए जाते हैं और बुराई पर अच्छाई के संदेश को लोगों तक पहुँचाया जाता है। रावण के दुराचार के कारण ही भगवान राम ने उसका अंत किया। हर साल हम दशहरे के दिन हम सभी रावण के पुतले को जलाते है। पर क्या आपको पता है कि भगवान श्री राम से पहले 4 योद्धाओं ने भी रावण का हराया था। आइये जानते हैं इसके बारे में।
रावण का अहंकार शिव ने चूर किया
रावण के अहंकार को भगवान शिव ने चूर-चूर किया था। रावण ने अपनी शक्ति में चूर होकर कैलाश पर्वत उठाने की कोशिश की। लेकिन जब वह पर्वत हिला भी नहीं सका तो उसने भी गलती मानकर अपने को शिव के चरणों में डाल दिया था। रावण के घमंड को तोड़कर भगवान शिव ने रावण को यह संदेश दिया था कि कितना भी शक्ति क्यों न हो जाए कभी घमंड नही करना चाहिए।
बाली ने रावण को हराया
बाली रामायण का एक ऐसा पात्र था जिसने भगवान श्रीराम से पहले ही रावण को बुरी तरह हरा दिया था। बाली ने रावण को बहुत अपमानित भी किया था। रावण जो अपने आप को सर्व-शक्तिमान समझता था वह बाली के सामने क्षमा मांगने को विवश हो गया था। लगभग 6 माह तक बाली रावण को अपनी काख में दबाये यूं ही घूमता रहा।
सहस्रबाहु ने रावण को बंदी बनाया
सहस्रबाहु अपनी पत्नियों के साथ नर्मदा में अठखेलियाँ कर रहे थे तो उन्होंने अपनी एक पत्नी के कहने पर अपने हाथ फैलाकर नर्मदा के बहाव को रोक दिया था। इससे नर्मदा का जल इधर-उधर से बहने लगा। कुछ ही दूरी पर शिवजी की उपासना में लीन रावण की पूजन सामग्री इससे बह गई। कारण पता चलने पर क्रोधित रावण सहस्रबाहु को दंड देने के लिए उनके पास पहुंचा। दोनों में युद्ध शुरू हो गया और अंततः सहस्रबाहु के एक तगड़े प्रहार से रावण अचेत होकर धरती पर गिर पड़ा। उसे बंदी बना लिया गया था।
दैत्यराज बलि के द्वारा रावण की हार
दैत्यराज बलि पाताल लोक के राजा थे। रावण राजा बलि से युद्ध करने के लिए पाताल लोक में उनके महल तक पहुंच गया था। वहां पहुंचकर रावण ने बलि को युद्ध के लिए ललकारा। उस समय बलि के महल में खेल रहे बच्चों ने ही रावण को पकड़कर घोड़ों के साथ अस्तबल में बांध दिया था। इस तरह रावण को पराजय मिली।