राजस्थान (Rajasthan) के श्रीगंगानगर में कुछ ऐसा हुआ है, जो हर किसी के लिए चर्चा का विषय बन चुका है। श्रीगंगानगर के ज़िला राजकीय अस्पताल में बुधवार रात पाकिस्तान (Pakistan) की एक महिला ने बच्चे को जन्म दिया। राजकीय अस्पताल के पीएमओ बलदेव सिंह चौहान (Baldev Singh Chauhan) ने बताया कि पाकिस्तान के सिंध प्रांत के जयराम (Jayram) का परिवार पिछले साल भारत आया हुआ था। कोरोना महामारी के कारण यह परिवार वापस नहीं जा पाया और उन्हें गुजरात में ही रुकना पड़ा।
पाकिस्तान की एक महिला ने श्रीगंगानगर में दिया बच्चे को जन्म
उस बच्चे को जन्म देने वाली 32 वर्षीय जयराम की पत्नी रामादेवी ( Ramadevi) हैं। जयराम का परिवार श्रीगंगानगर होते हुए वाघा बॉर्डर की ओर जा रहा था। एकाएक रास्ते में कैंचियां के पास बस में ही रामादेवी को प्रसव पीड़ा होने लगी। इस पर बस को एक होटल के पास रुकवाकर प्रसव करवाया और एम्बुलेंस को सूचना दी गई। फिर रामादेवी को राजकीय ज़िला अस्पताल पहुंचाया गया। रामादेवी का वजन कम होने के कारण नवजात बच्चे को शिशु नर्सरी में रखा गया है।

लॉक डाउन के वजह से पाकिस्तान नहीं लौट सके
जयराम मीडिया से बात करते हुए कहते हैं कि वह अपनी पत्नी रामादेवी, दो बच्चों व भाई और उनके परिवार के साथ अगस्त 2019 को हरिद्वार तीर्थ करने आए थे। उसके बाद वह अपने रिश्तेदार के पास गुजरात चले गए, इस बीच कोरोना संक्रमण की वजह से लॉक डाउन हो गया। जिस वजह से वह वापस पाकिस्तान नहीं लौट सके।

नवजात बच्चे का नाम गंगासिंह रखा गया
यह अच्छी बात थी कि जयराम के परिवार के पास लॉन्ग टर्म वीजा था। एक ही परिवार के कुल 59 सदस्यों आए थे, जिन्हें वाघा बॉर्डर से पाकिस्तान जाना था। रामादेवी के प्रसव होने के बाद इसकी सूचना दिल्ली स्थित पाकिस्तान दूतावास को टेलीफोन के जरिए दिया गया। रामादेवी के नवजात बच्चे का नाम गंगासिंह रखा गया है। बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह (Ganga Singh) ने श्रीगंगानगर को बसाया था। ऐसे में बच्चे का नाम उन्हीं को समर्पित करके रखा गया है। सबसे खास बात यह है कि श्रीगंगानगर के लोग रामादेवी के परिवार की बहुत अच्छे से स्वागत कर रहे हैं।

रामादेवी के खुशी से आंसू बहने लगे
श्रीगंगानगर के स्थानीय लोगों में से कुछ उस नवजात बच्चे के मामा बनकर तो कुछ मौसी बनकर उसके लिए कपड़े व उपहार लाए। वही रामादेवी तथा उनके परिवार को भोजन भी करवाया गया। रामादेवी ऐसी आवभगत देख मीडिया से बात करते हुए कहती हैं कि यहां हर किसी ने मेरी मदद की। मुझे लगा ही नहीं कि मैं घर से कोसों दूर, दूसरे देश में हूं। रामादेवी को सभी लोग अपने परिवार जैसे ही लगे। यह कहते हुए खुशी से रामादेवी के आंसू बहने लगे।
कुछ दिन पहले की घटित यह घटना बेहद ही खूबसूरत है तथा प्रशंसा योग्य है।