आज हर व्यक्ति राकेश टिकैत का नाम जानता है क्योंकि वह किसान आंदोलन को लेकर चर्चा का विषय बने हुए हैं। राकेश गाजीपुर में किसानों के प्रदर्शन में मौजूद हैं, लेकिन जो किसानों ने 26 जनवरी को किया, उसमें उनका नाम शामिल होने से वह भावुक हुए और उनकी आंखों से आंसू छलक आए। उनका भावुक होना सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ और आगे उन्होंने कहा कि मैं अब इस आंदोलन से कभी अपना पैर पीछे नहीं करूंगा।
किसान नेता राकेश टिकैत
जानकारी के अनुसार राकेश किसान नेता महेन्द्र सिंह टिकैत के सुपुत्र हैं। किसान आंदोलन में जिस तरह 26 जनवरी को शर्मसार करने देने वाला दृश्य दिखा, वह बहुत ही गलत था। कुछ ही दिनों के उपरांत राकेश के अगुवाई में किसानों ने इंकार कर दिया कि वह यूपी के बॉर्डर को छोड़ेंगे।

नरेश टिकैत जो कि राकेश के भाई हैं, वह उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरपुर भारतीय किसान यूनियन लीडर है। उन्होंने महापंचायत के लिए किसानों को एकत्रित किया, जहां किसान एकत्रित हुए वह स्थान गाजीपुर से लगभग 150 किलोमीटर की दूरी पर है। गाजीपुर वही स्थान है, जहां उनके भाई राकेश की आंखों से आंसू छलके थे। यहां राकेश कैमरे के सामने रोने लगे और बोले कि जब तक किसानों की मांग पूरी नहीं होगी, तब तक वहां से कही नहीं जाएंगे।

आखिर कौन हैं राकेश टिकैत?
हम आपको बता दें कि राकेश के पिताजी किसान लीडर थे और उनका नाम महेंद्र सिंह टिकैत है। अपने पिता से मिली विरासत में किसानों की मदद के लिए राकेश टिकैत उनकी मृत्यु के बाद भी किसानों के साथ खड़े हैं। राकेश कोई आम आदमी नहीं बल्कि एक पुलिस कांस्टेबल थे लेकिन किसानों के मदद के लिए अब वह किसान लीडर हैं।
महेंद्र सिंह टिकैत ने 1987 में भारतीय किसान यूनियन की आधारशिला रखी थी। उनके बड़े बेटे नरेश इसके अध्यक्ष हैं और वही राकेश प्रवक्ता हैं। राकेश ने 1990 के दशक में अपनी पुलिस कांस्टेबल की नौकरी को त्याग दिया और किसानों के सहयोग के लिए उनके साथ खड़े हो गए।