निगाहों में मंजिल थी,
गिरे और गिरकर संभलते रहे,
हवाओं ने बहुत कोशिश की,
मगर चिराग आंधियों में भी जलते रहे।
आज हम आपको एक ऐसे ही चिराग प्रो.सुधीर कुमार जैन के बारे में बताएंगे जिन्होंने भारत और अन्य विकासशील देशों की जरूरतों के अनुरूप भूकंप इंजीनियरिंग शिक्षा, अनुसंधान और अभ्यास में प्रमुख योगदान दिया है। उनके इसी उत्कृष्ट कार्यों को देखते हुए भारत सरकार ने पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया है। उन्हें बीएचयू का पूर्णकालिक कुलपति भी बनाया गया है। आइये जानते हैं उनके बारे में।
दूसरों से अलग सोच
उत्तर प्रदेश के ललितपुर में जन्में प्रो.सुधीर कुमार जैन पेशे से सिविल इंजीनियर होने के साथ-साथ प्रोफेसर भी हैं। प्रो.जैन बचपन से ही कुछ अलग करना चाहते थे। वो देश के लिए कार्य करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ रुड़की से 1979 में बीटेक किया। जिसके बाद उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन और पीएचडी की उपाधि कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, पासाडेना से प्राप्त की। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वो देश सेवा करने में जुट गए।
भवनों को कराया निर्माण
प्रो.सुधीर कुमार जैन ने भारत और अन्य विकासशील देशों के अनुरूप भूकंप इंजीनियरिंग शिक्षा में प्रमुख योगदान दिया है। उन्होंने खुद के द्वारा बनाई गई भूकंपरोधी तकनीक से आईआईटी गांधीनगर के 36 भवनों का निर्माण कराया है। प्रो. सुधीर कुमार जैन ने सूचना और साहित्य के प्रसार और भूकंप आपदाओं के खिलाफ क्षमता निर्माण के उद्देश्य से आईआईटी कानपुर में भूकंप इंजीनियरिंग के राष्ट्रीय सूचना केंद्र की अवधारणा और विकास किया है।
लगातार काम कर रहे हैं सुधीर
सुधीर जैन अपने कार्यकाल में कई संस्थाओं में सेवाएं दे चुके हैं।आईआईटी गांधीनगर के डायरेक्टर बनने से पहले वह आईआईटी कानपुर के साथ कई बार काम कर चुके हैं। उनके कार्यों को देखते हुए उन्हें बनारस हिन्दू विश्नविद्यालय (BHU) को नया कुलपति नियुक्त किया गया है। IIT गांधीनगर के निदेशक प्रो. सुधीर कुमार जैन बीएचयू के पहले ऐसे कुलपति हैं जो आईआईटियन हैं। वह आईआईटी गांधीनगर में निदेशक के पद पर लगातार तीसरी बार सेवा दे रहे थे।
कई सम्मान से हैं सम्मानित
प्रो.सुधीर जैन के कार्यों को देखते हुए सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया है। यही नहीं प्रोफेसर जैन IIT-रूड़की के अलुमुनाई भी हैं। वहां पर उन्हें चांसलर गोल्ड मेडल से भी नवाजा जा चुका है। 62 वर्षीय प्रो. जैन भूकंपीय डिजाइन कोड और गतिविधियों एवं इमारतों की गतिशीलता के क्षेत्र में गहन अनुसंधान के विशेषज्ञ माने जाते हैं। आईआईटी कानपुर में सिविल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर रह चुके श्री जैन आईआईटी गांधीनगर के निदेशक के तौर पर तीसरी बार सेवाएं दे रहे हैं। आज उनकी पहचान देश में एक प्रतिष्टित व्यक्ति के तौर पर है।
देश को प्रो.सुधीर जैन पर गर्व है।