पर्यावरण संरक्षण के लिये हम सभी को एकजुट होकर आगे आना चाहिए, जिससे जीवन को सुचारु रूप से चलाने में मदद मिले। एक स्वस्थ्य जीवन जीने के लिये स्वच्छ हवा बहुत आवश्यक है। स्वच्छ हवा के लिये हमें अधिक-से-अधिक पेड़ लगाने चाहिए, इस बात को हम सभी कहते हैं लेकिन इस बात को अमल बहुत ही कम लोग करते हैं। कुछ लोग पर्यावरण संजीदगी को समझते हुए पहाड़ों पर भी हरियाली ला देते हैं।
39 वर्षों में एक लाख से अधिक पौधे लगाए
पर्यावरण संजीदगी को समझने वालों में एक नाम दिलीप कुमार सिकंदर (Dilip Kumar Sikandar) का भी शामिल है, जिन्होंने 39 वर्षों में एक लाख से अधिक पौधे लगाए हैं। दिलीप कुमार सिकंदर बिहार (Bihar) के गया (Gaya) के रहने वाले हैं। माउंटेन मैन दशरथ मांझी को अपना आदर्श मानते हुए दिलीप ने वर्ष 1982 से पौधे लगाने का कार्य शुरु किया, जो अभी तक जारी है।
पहाड़ों पर लाई हरियाली
एक रिपोर्ट के अनुसार, दिलीप ने शहर के बीचों-बीच स्थित ब्रह्मायानी पहाड़ पर पिछ्ले 39 वर्षों से पौधे लगा रहे हैं। उन्हें पहाड़ों को देखकर मायुसी हो जाती थी इसलिए उन्होंने मायुसी को दूर करने के लिये वहां पौधें लगाने का कार्य शुरु किया। उनका लक्ष्य पहाड़ों पर हरियाली लाने का है, उन्होंने इसे ही अपना जीवन बना लिया है।

छोड़ी अपनी नौकरी
दिलीप का कहना है कि गया इंजीनियरिंग कम्पनी में बिजली मिस्त्री की नौकरी की, जो पौधे लगाने की अभियान में बाधा उत्पन्न करने लगी। इस अभियान में अड़चने पैदा होने की वजह से उन्होंने बिजली मिस्त्री की नौकरी छोड़ दी। दिलीप अपनी आमदनी के आधे से अधिक रुपये पौधारोपण में खर्च करते हैं।
दिलीप अपने दिन का 6 से 7 घंटे पहाड़ों पर ही व्यतीत करते हैं। वह गर्मी के मौसम में पानी से भरे गैलन को साइकिल से पहाड़ों के उपर चढ़ते हैं, और पौधे को पानी देते हैं।
इसके अलावा उन्होंने बारिश के पानी को संरक्षित करने के लिये खजुरिया पहाड़ के नीचे एक तालाब भी बनाया है, जहां बरसात का पानी इक्ट्टा होता है। इस कार्य के लिये दिलीप को अभी तक सरकार के तरफ से किसी प्रकार की सहायता राशि नहीं मिली है। इन सबसे अलग दिलीप कुमार को कई संगठनों ने सर्टीफिकेट देकर सम्मानित किया है। आपको बता दें कि दिलीप स्वतंत्रता सेनानियों के याद में भी पौधें लगाते हैं।
दिलीप कुमार सिकंदर द्वारा किया जा रहा कार्य बेहद सराहनीय है। हम उनके कार्यों की प्रशंशा करते हैं और अपने पाठकों से भी पर्यावरण संरक्षण को संजीदगी से समझते हुए इसमें अपनी-अपनी भागीदारी देने की अपील करते हैं।