संसार का सबसे बेहतर रिश्ता माँ बाप का होता है। माता- पिता हर समय अपने बच्चे को बेहतर बनाने के लिए खुद को झोंक देते है।
हमें इस संसार में लाने वाले तथा जीवन में हर परस्थिति में हमारा साथ देने वाले माता-पिता हमारे लिए भगवान होते हैं जो हमें भगवान द्वारा उपहार के रूप में मिलते हैं। पर कभी-कभार बच्चों और माता-पिता के रिश्ते में खटास हर सीमा लांघ जाती है। इसके कुछ कारण हो सकते हैं। क्या उस स्थिति में माता-पिता बच्चों को घर से निकलने के लिए कह सकते हैं? आइए, यहां इस सवाल का जवाब जानते हैं।
दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक फैसला सुनाया कि बेटा शादीशुदा हो या अविवाहित, उसका अपने माता-पिता के मकान में रहने का कोई कानूनी अधिकार नहीं होता है। कोर्ट ने कहा कि माता-पिता उनके द्वारा खरीदे गए मकान में अपनी मर्ज़ी से बेटे को साथ रख सकते हैं। हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि वे जीवनभर उसका ‘बोझ’ सहें।
बच्चों को निकाल सकते है माता-पिता
अगर माता-पिता और बच्चे के संबंध आपस में मधुर नहीं हैं और बच्चे को निकाला जाता है तो कानूनी वारिस होने के नाते वह प्रॉपर्टी को ले सकता है। बच्चे गाली-गलौज करते हैं तो माता-पिता के पास उनसे तुरंत घर खाली करा लेने का अधिकार है। घर खाली कराने में बेटे के शादीशुदा होने या न होने से कोई मतलब नहीं है। यही बात बेटी और दामाद के मामले में भी लाग होती है।
बच्चों को निकालने का तरीका
बुजुर्ग माता-पिता उपायुक्त या जिला अधिकारी के पास गाली-गलौज करने वाले बच्चों से घर खाली कराने का आवेदन दाखिल कर सकते हैं। उन्हें 21 दिनों के भीतर अंतिम आदेशों के साथ अपनी रिपोर्ट को भेजना होता है। अगर 30 दिनों के भीतर प्रॉपर्टी खाली नहीं की जाती है तो डिप्टी कमिश्नर जबरन उसे खाली करा सकते हैं।
हमें अपने बुजुर्ग माता-पिता की हमेशा देखभाल करनी चाहिए। अगर किसी बुजुर्ग माता-पिता को ऐसी समस्या होती है तो वो ऊपर दिए गए जानकारी को पढ़कर कानूनी सहायता ले सकते हैं।