हर व्यक्ति को अपने जीवन में कोई ना कोई उद्देश्य जरूर रखना चाहिए। एक लक्ष्य ही होता है, जो हमें हमारे सपनों तक पहुंचा सकता है और हमें एक अलग पहचान दे सकता है। जिस व्यक्ति का कोई सपना नहीं होता, कोई लक्ष्य नहीं होता, वह जिंदगी में कुछ नहीं कर सकता। ऐसे लोगों को ही अक्सर कहते सुना है कि हमारी किस्मत ही हमारे साथ नहीं है।
आज की यह कहानी असफलताओं से सीख लेकर सफलता प्राप्त करने वाली एक ऐसी लड़की की है जिसने अपने आखिरी प्रयास में यूपीएससी के एग्जाम को पास कर अपने लक्ष्य को प्राप्त किया।
नूपुर गोयल का परिचय
नूपुर गोयल अपने माता पिता और छोटे भाई के साथ दिल्ली के नरेला में रहती हैं। उनके पिता एक व्यवसायी हैं और माँ गृहणी हैं। उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई नरेला से ही पूरी की है जिसके बाद उन्होंने DTU दिल्ली से B.Tech. की डिग्री हासिल की। नूपुर ने पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में MA की डिग्री भी प्राप्त की है।
सिविल सेवा में जाने की चाह
नूपुर अपने चाचा से प्रेरित थी, जो कभी यूपीएससी की तैयारी कर चुके थे। हालांकि उनके चाचा क्वालिफाई नहीं कर पाए। उन्होंने नूपुर को यह रास्ता अपनाने का भरोसा दिया। इंजीनियरिंग के अपने अंतिम वर्ष में निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों की दुनिया से परिचित होने के बाद, उन्होंने कॉलेज परिसर में बैठने के बजाय यूपीएससी IAS परीक्षा की तैयारी करने का फैसला किया । नूपुर ने 2014 के स्नातक स्तर की पढ़ाई में अपना पहला प्रयास किया और प्रीलिम्स और मेन क्वालिफाई किया, लेकिन इंटरव्यू क्वालिफाई नहीं कर सकी ।
लगातार असफल हुई
2015 में नूपुर अपने दूसरे प्रयास को शुरू नहीं कर सकीं। अपने 3 प्रयास में बहुत अच्छे मार्जिन के साथ दोनों प्रीलिम्स और मेन क्वालिफाई कर लिया। हालांकि, 2016 में उसका साक्षात्कार बहुत अच्छा नहीं रहा और वह फिर से क्वालीफाई नहीं कर पाई। 2017 में अपने 4 वें प्रयास में, वह अभी तक फिर से प्रीलिम्स क्लियर नहीं कर पाई थी। वह अपने 2018 और 5 वें प्रयास में फिर से साक्षात्कार के स्तर पर असफल रही।
सपनों को साकार किया
नूपुर ने अपने सपनों का पीछा करना जारी रखा और आखिरकार अपने 6 वें और अंतिम प्रयास 2019 की सिविल सेवा परीक्षा में 11 वीं रैंक हासिल की। उनका कहना है कि कभी भी हमें असफलताओं से नहीं घबराना चाहिए और खुद पर भरोसा रखना चाहिए। आपको अपने परिवार का साथ मिलेगा तो आप और भी बेहतर करने के लिए प्रेरित होंगे।
नूपुर गोयल की जितनी तारीफ की जाए कम है। आज अपने परिवार के सहयोग से ही नूपुर ने अपने सपने को पूरा किया है।