मेरी मंजिल मेरे करीब हैं,
इसका मुझे एहसास हैं,
गुमाँ नहीं मुझे इरादों पर अपने,
ये मेरी सोच और हौसलों का विश्वास हैं।
आज हम आपको तमिलनाडु के कोयंबटूर की रहने वाली 106 वर्षीय श्रीमती आर पम्पममल जी के बारे में बताएंगे जिन्होंने जैविक खेती को एक नई दिशा प्रदान की है। जिस उम्र में लोग काम करना बंद करके आराम करते हैं, उस उम्र में भी आर पम्पममल पूरे जोश के साथ खेती करते हैं। अब भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया है। आइये जानते हैं उनके बारे में।
अत्यधिक उम्र में खेती
कोयंबटूर के देवलापुरम में जन्मी श्रीमती आर पम्पममल की ख़ास बात यह है कि 106 साल की हैं और अब भी खेती करती हैं। भवानी नदी के किनारे एक गांव में अपना ऑर्गनिक फार्म चलाती हैं और सब्जियां तथा अनाज उगाती हैं। इसके अलावा उनका एक प्रोविजन स्टोर भी है। 106 साल की उम्र में भी वो रोजाना ढाई एकड़ खेत में काम करती हैं। बाजरा, भिंडी और केले के साथ-साथ वह तमाम फसलों की जैविक खेती करती हैं।
आत्मनिर्भर बनने का सोचा
आर पम्पममल ने बहुत कम उम्र में ही अपने माता-पिता को खो दिया था। जिसके बाद दो बहनों के साथ उनकी परवरिश थेकमपट्टी में दादी के यहां हुई। उन्होंने परिवार की एक दुकान की कमान संभाली और फिर खाने-पीने की शॉप शुरू की। इससे हुई कमाई से उन्होंने 30 साल की उम्र में गांव में ही 10 एकड़ जमीन खरीदी। यही नहीं पप्पाम्मल ने अपनी बहन के बच्चों की भी देखभाल की। पिछले 7 दशकों से वह ऑर्गेनिक खेती की वजह से तमिलनाडु ही नहीं पूरे देश के लिए प्रेरणा बन गई हैं।
जैविक खेती की योजना
एक बार उन्होंने किसी से ‘जैविक खेती’ शब्द सुना। फिर उन्होंने इसकी सारी जानकारी जुटाई और अपने खेतों में उसका उपयोग करने लगीं। वो कहती हैं कि अब उन्हें पता चल चुका है कि फसलों पर उपयोग किए गए जहरीले केमिकल पौधों के साथ-साथ हमारे लिए भी नुकसानदायक हैं। इनका उपयोग मिट्टी, हवा, पानी के लिए भी हानिकारक है। हमारी सेहत भी खराब करता है। अब वे जैविक खाद बनाती हैं, जिसमें नीम मट्ठा, गौमूत्र का उपयोग होता है। धीरे-धीरे वे अपने आसपास के लोगों को भी जैविक खेती के लिए प्रेरित करने लगीं।
मेहनत से बनाई मिसाल
पप्पम्माल भले ही 106 साल की हो, लेकिन उनका जज्बा किसी युवा से कम नहीं हैं। वे दशकों से जैविक खेती कर रही हैं। वे अपने खेतों में दाल, सब्ज़ियां, बाजरा, रागी की खेती तो करती ही हैं, इन दिनों केले की खेती में भी हाथ आजमा रही हैं। थेक्कमपट्टी गांव में उनकी एक दुकान भी है। जहां वे अपने खेतों की उगाई जैविक वस्तुएं बेचती हैं। जब भी कोई खरीदार आता है तो बड़े प्यार से पहले उसे पानी पीने के लिए पूछती हैं, फिर सामान की खरीदारी की बात होती है। जीवन के 106 बसंत देख चुकी पप्पम्माल आज भी अपने खेतों में आसानी से काम कर लेती हैं। कई किलोमीटर पैदल चलती हैं। वे खेतों में पौधों से बातें करती हैं, उनकी देखभाल अपने बच्चों की तरह करती हैं।
पद्मश्री से हुईं सम्मानित
कृषि कार्यों में सर्वश्रेष्ठ काम के लिए पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया है। जब उन्हें पद्मश्री अवॉर्ड मिला तो पूर्व क्रिकेटर वीवीएस लक्ष्मण ने ट्वीट कर उनकी तारीफ की थी। यही नहीं पीएम मोदी के आधिकारिक फेसबुक पेज पर भी 106 साल की अम्मा पप्पाम्मल की तस्वीर हाथ रखकर आशीर्वाद देते हुए शेयर की गई थी। पीएम ने तस्वीर शेयर करते हुए आर पप्पाम्मल की प्रशंसा की थी।
आज उनकी जितनी भी तारीफ की जाए कम है। उन्होंने यह साबित कर दिया है कि अच्छे कार्यो को करने के लिए उम्र की कोई सीमा नही होती है।