गरीबी एक परेशानी जरूर है लेकिन वह किसी के पैरों की बाधा नहीं बन सकती। अगर हम कुछ कर गुज़रने की ठान लें, तो कोई भी मुसीबत हमें रोक नहीं सकती। आज हम जिस व्यक्ति की बात करेंगे, वह कभी दो वक्त की रोटी के लिए तरसते थे, मगर आज वह 10 लोगों को रोज़गार दे रहे हैं। यह उनकी कड़ी मेहनत और हिम्मत के वजह से ही मुमकिन हो पाया है।
कुंदन कुमार (Kundan Kumar) की कहानी
कुंदन झारखंड (Jharkhand) के धनबाद के तिसरा इलाके के रहने वाले हैं। उनके पिता उमा शंकर (Uma Sankar) एक कंपाउंडर थे। कुंदन के परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि अक्सर उनके घर पर दो वक्त के खाने के भी लाले पड़ जाते थे। इतने गरीब होने के बावजूद भी कुंदन के माता-पिता उनकी पढ़ाई के लिए बहुत गंभीर थे। वह उन्हें हमेशा स्कूल भेजा करते थे।
कुंदन नौकरी से संतुष्ट नहीं थे
स्थानीय स्कूल से कुंदन ने अपनी शुरूआती पढ़ाई पूरी की। उसके बाद कुंदन आगे की पढ़ाई के लिए पश्चिम बंगाल चले गए। वहां के प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से उन्होंने बीटेक और एमटेक की डिग्री ली। पढ़ाई पूरी होने के तुरंत बाद दिल्ली में कुंदन को एक अच्छी नौकरी भी मिल गई परंतु कुंदन का मन नौकरी में नहीं लगा। उनका मानना था कि जॉब के कारण उनकी पर्सनल लाइफ़ पर असर पड़ रहा है।

कुंदन ने शुरू की अपनी कंपनी
कुंदन अपनी एक कम्पनी खोलना चाहते थे, जहांं उन पर जॉब का प्रेशर ना हो। कुंदन चाहते थे कि उनकी कम्पनी में लोग एक परिवार के तरह काम करें, किसी पर कोई दबाव ना हो। एक अच्छी नौकरी छोड़ नया काम शुरू करना कुंदन के लिए आसान नहीं था लेकिन कुंदन भी हार मानने वालों में से कहां थे? कुंदन अपनी नौकरी को छोड़ तकनीकी को अपना हथियार बनाने का फैसला कर लिया और उन्होंने ऑप्टिकल फाइबर केबल बनाने का पूूरा प्लान तैयार किया। जिसमें उनकी पत्नी नीतू (Nitu) ने भी उनका पूरा साथ दिया।
पहले साल में ही कुंदन को हुआ अच्छा मुनाफा
बैंक की मदद से कुंदन ने यूपी के नोएडा में 10 लाख रुपए लगा कर ड्रोन एज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की शुरुआत की। साल 2018 में कुंदन ऑप्टिकल फाइबर केबल, ओएफसी पैच कोड, OLT, FTTH Equipment और राउटर आदि बनाना शुरू किया। शुरुआत के दिनों में उन्हें बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा परंतु धीरे-धीरे सब ठीक हो गया। उनकी मेहनत रंग लाई और पहले ही साल उन्होंने करीब 30 लाख रुपए का कारोबार किया।

कुंदन ने 10 लोगों को काम पर रखा
दूसरे साल 2019 में कुंदन ने कारोबार दो करोड़ तक पहुंचा दिया। वहीं जब कुंदन को काम करने के लिए अन्य लोगों की ज़रूरत पड़ी तो, उन्होंने 10 लोगों को 15 से 25 हज़ार रुपए के बीच सैलरी में काम पर रख लिया। कोरोना काल में जहां हर कोई अपने नुकसान तथा काम को लेकर परेशान था, ऐसे में कुंदन ने खूब कमाई की।
कोरोना के समय में भी कुंदन ने की अच्छी कमाई
कोरोना के समय में जहां इंटरनेट का प्रयोग बहुत बढ़ गया था। ऐसे में कुंदन के ऑप्टिकल फाइबर का मार्केट भी बड़ा हो गया। जिस वजह से कुंदन को बहुत मुनाफा हुआ, उन्होंने अपने कारोबार को 10 करोड़ रुपए तक पहुंचा दिया। कुंदन बताते हैं कि अब वह इंडियन ऑयल, रेलवे और बीएसएनएल जैसी कई बड़ी कंपनियों के साथ काम कर रहे हैं। कुंदन हर महीने करीब 2 लाख रुपए की कमाई कर रहे हैं। कुंदन का अपनी कंपनी खोलने का फैसला बिल्कुल सही साबित हुआ।
कुंदन कुमार अपनी कड़ी मेहनत और हौसले से यह साबित करते हैं कि गरीबी हमारे रास्ते की रुकावट नहीं बन सकती।
One thought on “कभी पड़ जाते थे दो वक्त की रोटी के लाले मगर अब दे रहे लोगों को रोज़गार, ऑप्टिकल फाइबर बनाकर कर रहे कमाई: कुंदन कुमार”