हमारे पूर्वज हमेशा से हमें बताया करते थे कि हमें मिट्टी के बर्तनों में ही भोजन करना चाहिए, क्योंकि यह हमारे स्वास्थ्य के लिए अति लाभदायक होता है। वहीं आधुनिक युग में हर कोई सुख सुविधा वाली ज़िंदगी व्यतीत करना चाहता है, इसलिए वह प्लास्टिक से निर्मित कप या ग्लास का उपयोग किया जा रहा है, ताकि उन्हें यूज़ कर फेंक दिया जाए। हालांकि हम इस बात से भली भांति परिचित हैं कि प्लास्टिक हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है। आज हमारा यह लेख एक सेल्स टैक्स अधिकारी के बारे में है, जिन्होंने अपनी नौकरी छोड़ मिट्टी के महत्व को समझते हुए उससे ही बर्तन बनाने का काम शुरू किया। साथ ही अन्य लोगों को भी रोज़गार दिया।
चरण सिंह का परिचय
चरण सिंह (Charan Singh) बाराबंकी के विकास भवन रोड से सम्बंध रखते हैं। उन्होंने वर्ष 2014 में सेल्स टैक्स विभाग के जॉब को ठुकरा दिया था। साथ ही उसके बाद “पॉलिथीन हटाओ अभियान” द्वारा उन्होंने एक ऐसी यूनिट की स्थापना की, जिसके द्वारा मिट्टी के बर्तन का निर्माण शुरू हुआ। वह मिट्टी के द्वारा ग्लास कटोरी, गमले, प्लेट और चाय के कप का निर्माण करते हैं।इनके द्वारा निर्मित बर्तन कानपुर, बनारस, सीतापुर, लखनऊ जैसे शहरों में भेजे जाते हैं। यहां चरण जी “कुल्हड़ वाले” के नाम से प्रसिद्ध हैं।

15 से 20 हज़ार बर्तन का होता है निर्माण
उन्होंने यह जानकारी दिया कि सेल्स विभाग की नौकरी से उन्हें अधिक आमदनी मिलती थी, लेकिन अब मैं 20 परिवारों को रोज़गार देकर उनकी दैनिक दिनचर्या को पूरी करने में सहायक हूं। हमारी यूनिट में प्रतिदिन लगभग 15 से 20000 बर्तन का निर्माण हो जाता है। हमें इस बात की खुशी है कि मिट्टी के बर्तनों से एक तो लोगों को रोज़गार भी मिला और इसके उपयोग से हमारा स्वास्थ्य भी सही है।
बर्तन के निर्माण के लिए उन्होंने मशीनों का उपयोग किया है। मशीनों में मिट्टी डालने पर वह फिल्टर होती है फिर बर्तन का निर्माण होता है। जब बर्तन सांचे में परिवर्तित हो जाता है फिर उसे पका दिया जाता है। जब संरक्षण होता है, तब अफसरों द्वारा निरीक्षण किया जाता है। उन्होंने बताया कि हमें इस बात की खुशी है कि अक्सर मवेशी कचरे में पॉलिथीन का सेवन किया करते हैं, लेकिन अब अधिकतर व्यक्ति मिट्टी के बर्तनों का उपयोग कर रहे हैं, जिससे कचरा प्रबंधन में थोड़ी सहायता मिल रही रही है।