“जहाँ पहुँच के क़दम डगमगाए हैं सब के ..
उसी मक़ाम से अब अपना रास्ता होगा”
यह पंक्तियां जादव मोलाई पर सटीक बैठती हैं। यह वो शख्स हैं जिन्होने बिना घबराए केवल अपनी दम पर 1360 एकड़ की बंजर ज़मीन को एक हर भरे जंगल में परिवर्तित कर दिया है। एक ओर जहां आज जंगल को काटकर बड़ी-बड़ी बिल्डिगों का निर्माण किया जा रहा है जिससे पर्यावरण के साथ जीव-जंतुओं का भी दोहन किया जा रहा है। आइये जानते हैं इनके बारे में।
बचपन से ही प्रकृति से लगाव
जादव मोलाई असम के जोरहट ज़िला के कोकिलामुख गांव के रहने वाले हैं। उनकी उम्र करीब 55 साल है, उन्हें बचपन से ही प्रकृति से बेहद ही ज्यादा लगाव है। लेकिन 24 साल की उम्र में उनकी जिंदगी ने एक करवट ली। जब असम में एक विनाशकारी बाढ़ आई थी। जिसमें घर पूरी तरह तबाह हो गया था। ऐसे में हर कोई सरकार से मदद पाने के लिए राहत समाग्री पर आश्रित था, बाढ़ की वजह से जानवर अपनी जान भी बचा नहीं पाए थे।
हरे-भरे जंगल लगाने का प्रण
इस भीषण त्रासदी में उन्होंने देखा कि उनके गांव के आस पास पशु पक्षियों की संख्या घटती जा रही है, यह देखकर उन्हें बहुत दुःख हुआ और उन्होंने यह तय किया कि वो कुछ कुछ ऐसे पौधे लगाएगें जो आगे जाकर एक हरे भरे जंगल का निर्माण करेगें।गांववालों की भलाई के लिए किए जा रहे काम के बदले उन्हें काफी अपमान भी सहना पड़ा।
हर तरफ से सहयोग मिला
शुरुआत में तो उन्हें गांव वालों का साथ नही मील पर बाद में उन्होंने गांव वालों का साथ मांगा, और वो तैयार गए। जंगल बनाने के लिए उन्होंने वन विभाग से मदद के लिए गुहार लगाई, लेकिन उन्होंने यह कहकर इंकार कर दिया कि यह ज़मीन बंजर है! और यहाँ कुछ उग नहीं सकता। लेकिन वन विभाग के लोगों ने कहा कि अगर आप चाहों तो वहा पौधे लगा सकते हों। बस फिर क्या था जादव खुद ही इस काम में लग गए और ब्रह्मपुत्र नदी के बीच एक वीरान टापू पर बाँस लगा कर इस काम की शुरुआत कर दी। वहवृ रोजाना नए पौधे लगाते थे। कई बार बाढ़ ने उनके इस कार्य को रोकने की कोशिश की लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।
बंजर भूमि हरी-भरी हुई
उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और मेहनतक की बदौलत मिट्टी और कीचड़ से भरी ज़मीन फिर से हरी-भरी हो गई। इस जंगल को मोलाई फॉरेस्ट के नाम से जाना जाता है। एक इंसान को हमेशा उसकी जगह के नाम से जाना जाता है लेकिन अपने कर्मों की बदौलत जादव मोलाई के नाम से एक जंगल को संबोधित किया जाता है । यह सम्मान की बात है।
आज इस इस जंगल में जानवरों की बड़ी संख्या है।
सरकार ने “फॉरेस्ट मैन ऑफ इंडिया” और 2015 में पद्म श्री पुरस्कार देकर जादव मोलाई को सम्मानित किया।