यह खबर फारूखाबाद के गांव कराथिया की है, जहां अपने ही गांव के रहने वाले एक अपराधी ‘सुभाष बाथम’ ने गांव के 25 बच्चों को अपनी ही बेटी गौरी के जन्मदिन के बहाने घर बुलाकर बंधक बना लिया। पुलिस करीब 12 घंटे तक अपराधी से बातचीत करती रही ताकि स्थिति संभल सके। अपराधी के साथ 25 बच्चे थे इसलिए पुलिस अपराधी से बातचीत करके ही स्थिति को संभालने का प्रयास कर रही थी, लेकिन आखिर में पुलिस को बच्चों की जान बचाने के लिए अपराधी का एनकाउंटर करना ही पड़ा। पुलिस का यह रेस्क्यू ऑपरेशन कानपुर रेंज के आईजी मोहित अग्रवाल के नेतृत्व में चलाया गया था।
पत्नी को पीटकर मार डाला
अपराधी सुभाष की जान गई ही मगर साथ ही साथ उसकी पत्नी को भी ग्रामीणों के गुस्से का सामना करना पड़ा। ग्रामीणों ने सुभाष की पत्नी को पीट-पीटकर मार डाला। माता-पिता के जाने के बाद घर में सिर्फ ढ़ाई साल की बच्ची गौरी बच गई। ऐसे में सवाल यह उठता है कि इस बच्ची को कौन देखेगा? सारी परिस्थिति जानने के बाद भी कोई भी इस बच्ची की मदद करने के लिए तैयार नहीं था।

आईजी मोहित ने लिया गोद
ऐसे में रेस्क्यू ऑपरेशन को लीड करने वाले मोहित अग्रवाल ने बच्ची को गोद ले लिया। गौरी के बालिग होने तक सारा खर्च मोहित अग्रवाल उठाएंगे।
आईजी मोहित अग्रवाल हर महीने गौरी के लिए 5 हज़ार भेजते हैं। साथ ही हर त्यौहार पर गौरी के लिए कपड़े और खिलौने भी भेजते हैं। गौरी फिलहाल अपनी बुआ के घर पर रहती है। मोहित अग्रवाल हर महीने गौरी से मिलने एक बार जाते हैं।

इनाम के पैसे गौरी के नाम
मोहित अग्रवाल को इस एनकाउंटर के बाद इनाम के तौर पर 1 लाख मिले थे, वह भी उन्होंने गौरी के नाम से बैंक में जमा करा दिया था।