कहते हैं लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।
इसलिए कोशिश करते रहना चाहिए क्या पता कोशिश करने से आपकी रूठी किस्मत आपको आपकी मंजिल तक ले जाए।
आइए जानते हैं ऐसे ही एक शख्स की कहानी, जिन्होंने अपनी नाराज किस्मत को खुद के मेहनत के बदौलत बदल डाला और आईएएस अधिकारी बन समाज में एक मिसाल कायम कर दी।
हम बात कर रहे हैं, आईएएस नवजीवन पवार (IAS Navjivan Pawar) की जो महाराष्ट्र के नासिक जिले के नवीबेज गांव से ताल्लुक रखते हैं। इनके पिता एक किसान है और इनकी माता एक प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका हैं।
कभी खेतों में चलाते थे हल आज हैं आईएएस ऑफिसर
उन्होंने पिता के मदद के लिए अपने खेतों में हल भी चलाया और 12वीं तक की शिक्षा पूरी करने के बाद 27 मई 2017 को सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। नवजीवन ने इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद सिविल सर्विसेज में जाने का फैसला किया और उसके किए उन्होंने दिल्ली का रुख किया।
ज्योतिष के बातों को किया झूठा साबित
नवजीवन ने बताया कि UPSC की तैयारी के दौरान मेरे एक टीचर मुझे एक ज्योतिषी के पास लें गए, जब ज्योतिषी ने मेरा हाथ देखा तो बोला कि 27 साल की उम्र के पहले तुम आईएएस नहीं बन सकते। उसकी यह बात मेरे दिल में चुभ गई और मैंने ठान लिया कि अपने मेहनत के बदौलत मैं अपनी किस्मत बदलूंगा।
एग्जाम से पहले तबीयत ने नहीं दिया साथ
नवजीवन बताते हैं कि UPSC की मुख्य परीक्षा के एक महीना पहले उनको डेंगू हो गया और तबियत ज्यादा बिगड़ने के कारण उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कराना पड़ा लेकिन इस दौरान भी उन्हें अपनी पढ़ाई छूटने की चिंता सता रही थी। फिर भी उन्होंने उस कठिन समय में भी अपनी पढ़ाई को जारी रखा।
पहले ही प्रयास में पा ली मंजिल
नवजीवन (IAS Navjivan Pawar) ने अपने जज्बे के बदौलत देश की सबसे कठिन माने जाने वाली यूपीएससी एग्जाम में पहले ही प्रयास में ऑल इंडिया रैंक 316 लाकर सफलता हासिल किया। आईएएस नवजीवन का संघर्ष आज लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।