पूरी दुनिया में प्लास्टिक पर्यावरण के लिए बेहद खतरनाक साबित हो रहा है। इसीलिए इसका उपयोग सीमित करने और कई प्रकार के प्लास्टिक पर प्रतिबंध की मांग उठती रही है।
भारत में भी ऐसी ही मांग निरंतर होती रही है, किंतु तमाम प्रयासों के बावजूद ऐसा नहीं हो पा रहा है। अगर आपको हम कहे कि एक दिन में आप कितना प्लास्टिक खाते हैं तो थोड़ा आपको अटपटा लगेगा। पर यह सच है कि रोजाना हमारे शरीर में प्लास्टिक प्रवेश कर रहा है।
जलीय जीव मुख्य कारण
हमारे शरीर में रोजाना प्लास्टिक जलीय जीवों के द्वारा जा रहा है। समुद्र में उपस्थित प्लास्टिक का कचरा जलीय जीव अपना भोजन समझ कर खा लेते हैं और वही प्लास्टिक जलीय जीव द्वारा हमारे शरीर में रोजाना प्रवेश कर रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, हम 1 हफ्ते में करीब 5 ग्राम माइक्रो प्लास्टिक खाते हैं यानी एक क्रेडिट कार्ड के बराबर। जो कि हमारे शरीर के लिए काफी नुकसानदायक है।
हवा में भी प्लास्टिक
सिर्फ समुद्र में ही प्लास्टिक उपस्थित नही है। यह हवा में भी मौजूद है। इसे साबित करने के लिए वैज्ञानिकों ने शहर के खुले वातावरण में एक घंटे के लिए एक फिल्टर पेपर को रखा। इसे जब लैब में ले जाय गया तो इसमें फिलामेंट, ड्रीटलाइट, फ्रेगरेंस वाले वगैरह कई तरह के माइक्रोप्लास्टिक पाए गए। इससे यह साबित होता है हवा में भी प्लास्टिक मिला हुआ है जो हमारे शरीर में सांस रोजाना प्रवेश कर रहा है।
प्लास्टिक का दोबारा उपयोग करना
यदि आप प्लास्टिक बैगों और प्लास्टिक से बने अन्य वस्तुओ का उपयोग नही बंद कर सकते तो कम से कम उन्हे फेंकने से पहले जितनी बार भी हो सके उनका पुनरुपयोग करे। प्लास्टिक बैगों और सामानो का उपयोग करके उन्हे फेंक देना लगभग हमारी आदत सा बन चुका है, जबकि यदि हम चाहे तो फेंकने से पहले हम इनका पुनरुपयोग कर सकते है। इससे हम प्लास्टिक पर काबू पा सकते हैं।
प्लास्टिक को जीवन शैली से करें दूर
हमारी यह कोशिश होनी चाहिए कि प्लास्टिक को अपने जीवन शैली से दूर करें। कोशिश को की इसका उपयोग न के बराबर हो। हमारी कोशिश यह भी होनी चाहिए कि प्लास्टिक समुद्र में न जा पाए। यह वह समय है जब हमें एक साथ मिलकर प्लास्टिक प्रदूषण जैसे इस भयावह दानव का सामना करने की आवश्यकता है।
अगर हम प्लास्टिक पर काबू पा लेंगे तो इससे हमारा आने वाला भविष्य भी सुरक्षित रहेगा।