सोचिये आप दिन भर जॉब की थकान रस्ते में ट्राफिक का शोर और शहर का दम घुटने वाला प्रदुषण और काम की चिंता ऐसे में आपको चाहिए होती है एक आराम देने वाली छुट्टी लेकिन ऐसी छुट्टी कहा बिताई जाए| अब सोचिये सुबह सूरज निकलने को है और आपकी आंख ठीक से खुली भी नहीं है। तभी आपके दरवाज़े पर एक हलकी सी दस्तक होती है। आप सोचते हैं, कि इतनी सुबह-सुबह कौन हो सकता है? जैसे हीआप दरवाजा खोलकर बाहर झांकते हैं, तो देखते हैं कि बाहर एक छोटी सी काले रंग की चिड़िया बड़े प्यार से आपको देख रही है। स्वनिर वाइल्डरनेस ईको स्टे में आने वाले हर मेहमानों का स्वागत कुछ ऐसे ही होता है। इस Homestay को 37 साल की इंद्राणी चक्रवर्ती अपने पति सौम्य मुखर्जी के साथ चलाती हैं।
ओडिशा की राजधानी, भुवनेश्वर से करीब40 मिनट की दूरी परचारो ओर हरियाली से घिरा है ये होमस्टे | लगभग3500 बड़े-छोटे पेड़-पौधों वाले इस होमस्टे में आप निश्चित रूप से हीखुद को शहरी जीवन की सभी हलचल और परेशानियों से दूर होने और प्रकृति के साथ फिर से जुड़ा हुआ पाएंगे।
इंद्राणी जी कहती हैं किशहर की भागदौड़ भरी ज़िन्दगी से उब कर जब लोग यहाँ आते है तो सबसे पहले हम उनका स्वागत हरे रंग के कई किस्म के पौधों करते है| आमतौर पर हमनेअपने जीवन को इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस से भर दिया है और मोबाइल तो हाथ से जैसेछुट्टा ही नही पर यहाँ आपके पास इन सबसे दूर होने के कई सरे बहाने मौजूद हैं|
दिल्ली में काम करते हुए कैसे आया Homestay का ख्याल?

इन्द्राणी जी, गुवाहाटी की है औरदलुआ नाम के गाँव में बसने से उन्होंने पहले देश की राजधानी दिल्ली में बड़े बेमन से अपनी ज़िन्दगी के कुछ साल गुजारे| वे बताती है की पैसे काफी अच्छे मिल रहे थे लेकिन दिल्ली में काम करते हुए उन्हें कभी शुकून नहीं मिला | दिल्ली में रहना उनके लिए काफी मुश्किल था, कहती है की “हमारे पास एक दुसरे के लिए वक्त ही नहीं था, हम तोजैसेकेवल डेडलाइन एवं कमिटमेंट्स की दौड़ में कही खुद ही को भूल से गए थे |”
उन्हें भुनेश्वर वापस आने का विचार तब आया, जब सौम्य के पिता ने वर्षों पहले खरीदी जमीन को बेचने का निर्णय लिया|
सौम्य जी, कहते है की हम ये जानते थे की “हम दिल्ली में तो नही रहना चाहते है” और उनके पिता जी भो जमीं बेचने का सोच रहे थे ताकि वो दिल्ली में खुद की संपत्ति खरीद सकें| बस फिर इसी विचार ने हमे अपने घर वापस आने कका सही कारण दे दिया|
सौम्या जी एक ट्रेवल एजेंसी के लिए काम करते थे, और लोगों के ट्रेवेल प्लान में एक अलग तरह का बदलाव देख रहे थे। “ज्यादा अर्बन या शहरों में रहने वाले लोग अक्सर ऐसे हीहोमस्टे और जगहों की तलाश कर रहे थे, जो थोड़े अनोखे और अलग भी हों। इसी बात को ध्यान में रखते हुए उन्होंनेउस प्लॉट पर एक इकोस्टे बनाने का निर्णयलिया।”
ढेरों परेशानियों लेकिन नहीं रुके कदम

साल 2016 में सौम्य जीने अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया और फिर भुनेश्वर चले गए| बताते हैं की अपने पिता जी बी मुखर्जी की मदद से उन्होंने हर एक डिजाइन एलिमेंट पर खुद विचार करके इसे बनाया, उन्होंने किसी भी आर्किटेक्ट से मदद भी नही ली, इस बिच इन्द्राणी जी ने नौकरी करना जारी रखा लेकिन फिर 2018 तक, इन्द्राणी भी उनके साथ आ गयी|
फिरजब येइको स्टे मेहमानों के लिए तैयार हुआ तब वहां एक बड़ा चक्रवात आया और उनके पास जो भी साफ्ट फिनिशिंग थी वो सभी नष्ट हो गयी टिन की छत भी उड़ गई और सभी पेड़ गिर गए और उन्हें इसे फिर से बनाने में लगभग एकसाल लग गया|
जबदिसंबर 2019 तक, स्वनिर एक बार फिर मेहमानों के स्वागत के लिए तैयार था। लेकिन तभी मार्च 2020 में, COVID-19 ने दस्तक दे दी। फिर भी, इस जोड़े ने कभी भी उम्मीद नहीं छोड़ी और इको स्टे को सही मायने में स्वागत योग्य बनाने के लिए जी-जान से लगे रहे।
कैसा है, इस Homestay में रुकने का अनुभव?

2022मईमें,गेस्ट इतिश्री जीइस होमस्टे में रुकीं थी, उन्होंनेअपने सोशल मीडिया पेज पर लिखा हैं की, “चारो ओर बेहद सुन्दरप्राकृतिकनजारों से घिरे हुए इस होमस्टे में बहुत अच्छे लोग हैं, तथा स्वादिष्ट और स्वास्थ्य से भरपूर भोजन मिलता है। वैसे तो यह होमस्टे शहर से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है, लेकिन शहरी हलचल से बहुत दूर है।”
इसहोमस्टे में एक एकड़ में फैला हुआ बागान है, जहां मेहमानों के लिए चार बड़े कॉटेज बनाए गए हैं। सौम्य जी कहते हैं, “हमने मेहमानों को खुबसूरत अनुभव देने के लिए केवल स्थानीय रूप से प्राप्त चीज़ों का उपयोग किया है और पारंपरिक ट्राइबल आर्किटेक्चर की नकल की है। हमारे सभी कॉटेज में बड़ी खिड़कियों के साथ, अलग-अलग सिट-आउट बरामदे हैं।”
इस होमस्टे में प्रवेश करते ही सबसे पहले आपको हाथ से रंगी गईं सुंदर दीवारें नजर आती हैं।
होमस्टे बनाने में कितना आया खर्च?
इस Homestay को बनाने में लगभग 1.4 करोड़ का खर्च आया। यहां के कॉटेज की निचली दीवार पर संथाल आर्ट से कलाकारी की गई है। और एक एकड़ की संपत्ति पर आम, अमरूद, चीकू, अनार और शरीफा जैसे फलों के पेड़ भी लगे गए हैं, जिनमें काफी मात्रा में फल होते हैं।
रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भी है इसहोमस्टे में
इंद्राणी जी बताती हैं कि यहां, ग्रे वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भी स्थापित किया गया है, जिसमें बाथरूम से पानी सीधे बगीचे में जाता है। और इसके अलावा, हम ड्रिप सिंचाई तकनीक का प्रयोग करते हैं, जिससे पानी का उपयोग कम हो जाता है। बाथरूम में भी जान-बूझकर शावर नहीं लगाया गया है। वह कहती हैं, “हम अपने मेहमानों को भीनहाने के लिए सिर्फ बाल्टी एवं मग देते हैं।”
आखिरकैसे पहुंचे इस Homestay तक?
प्लेन सेः होमस्टे से भुवनेश्वर एयरपोर्ट सेलगभग21 किमी की दूरी पर है।
रोड सेः दलुआ गांव में बना यह Homestay, भुवनेश्वर और कटक से लगभग बराबर दूरी पर है (23 किमी) और दोनों ही जगह से ड्राइव करके जाया जा सकता है।
किरायाः Rs. 3600 से 4800/night है।
औरहोमस्टे बुकिंग के लिए इंद्राणी को +919678076450 पर कॉल कर सकते हैं।