जो लोग अपने वृद्ध माता-पिता, दादा-दादी की सेवा करते हैं। उन पर हमेशा ईश्वर की कृपा दृष्टि सदैव बनी रहती हैं। बुजुर्गों की सेवा का पुण्य व्यक्ति को उसी जीवन में मिलता हैं।
आज हम आपको एक ऐसी लड़की के बारे में बताएंगे जिसने अपनी दादी को उनके पैरों पर खड़ा होना सिखाया। उनकी दादी आज अपनी पोती के सहयोग से दादी क्रोशिए से बुकमार्क, बच्चों के लिए कपड़े, स्वेटर, मग वार्मर जैसे तरह-तरह के प्रोडेक्ट तैयार करती हैं। आइये जानते है दादी-पोती के इस कहानी के बारे में।
युक्ति बजाज और उनकी दादी
युक्ति बजाज एक ऐसी लड़की हैं जिन्हें बचपन में अपने माता-पिता का प्यार नही मिल पाया। उनकी दादी शीला बजाज ने उन्हें बड़े प्यार से बड़ा किया। युक्ति जब अकेला महसूस करती थी तो उनकी दादी उनका पूरा साथ देती थी। युक्ति भी आज अपने दादी का पूरा सहयोग करती हैं। एक दादी-पोती के बीच का प्रेम अनूठा है। युक्ति अपने दादी से बहुत प्यार करती हैं।
दादी को उनके पुराने काम से जोड़ा
युक्ति बजाज की दादी शीला बजाज जो कि अब 78 साल की हैं उन्हें उनके पुराने काम से जोड़ा है। उनकी दादी को क्रोशिए से बुकमार्क, बच्चों के लिए कपड़े, स्वेटर, मग वार्मर जैसे तरह-तरह के प्रोडेक्ट तैयार करना पसंद था। आज इसी काम को युक्ति ने फिर से शुरू करवाया है। युक्ति अपने दादी के द्वारा बनाए गए सामान को इंस्टाग्राम पर डालकर लोगों तक पहुंचाती हैं। आज दादी अपने पुराने काम को करके अपने पैरों पर खड़ी हैं। वह किसी दूसरे पर निर्भर नही हैं।
कम उम्र में माता-पिता को खोया
युक्ति ने काफी कम उम्र में अपने माता-पिता को खो दिया था। उनकी दादी ने ही उन्हें उनके माँ-बाप का प्यार दिया है। दोनों दादी-पोती के बीच बहुत प्रेम है। वह दोनों साथ में खाना खाती हैं। युक्ति कहती हैं कि उनकी दादी को बैठना पसंद नही है वह हमेशा कोई न कोई काम करते रहना चाहती हैं। इसलिए युक्ति ने उन्हें उनके पुराने काम से जोड़ा। युक्ति खुद नौकरी भी करती हैं। वह दिल्ली की एक कंपनी के साथ भाषा विशेषज्ञ के तौर पर जुड़ी हुई हैं।
दादी का हौसला बढ़ाया
युक्ति ने अपनी दादी का हौसला बढ़ाया और उन्हें उनके काम के लिए सहयोग किया। उन्होंने उनके दादी के द्वारा बनाए गए सामान को इंस्टाग्राम के जरिए लोगों तक पहुँचाया। आज उनके दादी का इंस्टाग्राम पर पेज भी है। आज लोग उनके दादी के क्रोशिए से बने सामान को खूब पसंद कर रहे हैं। शुरुआत में लोगों का रुझान इस ओर नही था और अब उनका काम खूब बढ़िया चल रहा है। इस पेज पर वह अपने हाथों से बने सामान, लोगों के सामने रखती हैं। जिसे जो अच्छा लगता है, वह उसका आर्डर देता है।
दादी ने इंटरनेट से सीखा

शुरुआत में दादी जितनी चीजे पहले बनाती थी वहीं बना रही थी पर अब इंटरनेट से उन्होंने बहुत कुछ सीखा है। आज वह बुकमार्क, बच्चों के लिए कपड़े. स्वेटर, बोतलों के कवर, मग वॉर्मर, स्कार्फ, हेडबैंड और यहां तक कि पैर और टखने को गर्म करने के लिए कैप भी बनाती हैं। आप अपने बजट और पसंद के हिसाब से कुछ भी तैयार करवा सकते हैं। दादी के लिए अब सबकुछ आसान है।
दादी-पोती दोनों हैं काफी खुश
दादी के द्वारा बनाए गए प्रोडक्ट आज लोगों द्वारा खूब पसंद किए जा रहे हैं। पहले महीने में आठ से दस ऑर्डर आते थे। लेकिन अब इनकी संख्या बढ़कर तकरीबन 20 हो गई है। दादी सारे ऑर्डर खुद तैयार करती हैं। युक्ति कहती हैं कि दादी में अब काफी बदलाव आ गया है। वह अब सकारात्मक सोचती हैं। दादी-पोती दोनों आज काफी खुश हैं।
दादी-पोती के इस प्यार की जितनी तारीफ की जाए कम है।