मनुष्य के जीवन में परिश्रम का बहुत महत्व होता है। कोई भी प्राणी काम किये बिना नहीं रह सकता है। चींटी का जीवन भी परिश्रम से ही पूर्ण होता है। मनुष्य परिश्रम करके अपने जीवन की हर समस्या से छुटकारा पा सकता है| सूर्य भी हर रोज निकलकर विश्व का उपकार करता है। आज हम आपको एक ऐसे ही इंसान के बारे में बताएंगे जो मेहनत करके आज ऐसे मुकाम पर है जो बहुत कम लोग हासिल हो पाता है।
विरल पटेल का परिचय

विरल पटेल मुंबई में प्रसिद्ध गौरव स्वीट्स के मालिक हैं। 53 वर्षीय विरल पटेल के मुंबई के अंदर वर्तमान में 14 आउटलेट्स हैं। और जल्द ही, दूसरे शहरों में भी वे अपने आउटलेट शुरू करने वाले हैं। उन्होंने अपने मेहनत ,परिश्रम के बदौलत आज इतने बड़े मुकाम पर पहुँचे हैं। आज विरल पटेल के 14 आउटलेट के साथ-साथ एक फैक्ट्री प्लांट भी है। इन सब जगहों पर लगभग 350 लोग काम करते हैं। पिछले साल उनका टर्नओवर 25 करोड़ रुपए रहा था।
बचपन संघर्ष भरा रहा

विरल पटेल का बचपन अत्यंत संघर्ष से भरा रहा है। विरल कच्छ के एक छोटे से गांव से ताल्लुख रखते हैं। उनके पिताजी किसानी करते थे पर उस समय गांव में सिंचाई की कोई अच्छी व्यवस्था नहीं थी, तो खेती भी ढंग से नहीं हो पाती थी। कहने के लिए ही बस उनका घर चल रहा था। उनके परिवार में आठ सदस्य थे। विरल छोटी उम्र से ही पिताजी का काम में हाथ बंटाने लगे थे। घर की आर्थिक स्थिति सही नही होने के कारण उन्होनें अच्छे स्कूल में पढ़ाई भी नही की।
मुंबई आने का फैसला किया
जैसे-तैसे दसवीं तक कि पढ़ाई उन्होंने पूरी की। साल 1983 में विरल पटेल ने मुंबई आने का फैसला किया। मुंबई आने के बाद उन्होंने अपने पिता के परिचित के सहायता से एक स्टेशनरी की दुकान में काम करने लगे। काम के दौरान वह बहुत गंभीर रहते थे। वह लगातार काम सीखते गए। विरल को जब अपनी पहली तनख्वाह मिली तो वह बहुत खुश हुए थे। कई बार तो उन्हें दुकान में झाड़ू-पौंछा भी लगाने पड़ते थे। विरल ने ढाई साल तक मन लगाकर उस दुकान में काम किया। इसके बाद, एक दूसरी दुकान में वह काम करने लगे।
खुद का बिजनेस शुरू किया
विरल को साल 1987 में उनके एक रिश्तेदार ने ठाणे बुलाया। विरल का वह रिश्तेदार स्टेशनरी की दुकान खोलने जा रहा था। उसने विरल को वह दुकान संभालने की जिम्मेदारी दी। उस दुकान पर लगातार काम करते हुए विरल ने पैसों के साथ अनुभव भी कमाया। कुछ बचत के साथ उन्होंने अपना खुद का बिज़नेस जमाना शुरू किया। उन्होंने अपनी दुकान को चलाने के लिए बहुत मेहनत की। कुछ समय बाद साल 2000 में उनका दुकान चल पड़ा था। विरल के अच्छे स्वभाव से दुकान के अच्छे ग्राहक बन गए थे। धीरे-धीरे और कमाई अच्छी होती गई और उन्होंने और दो-तीन जगह अपने स्टोर खोल दिए।
गौरव स्वीट्स की शुरुआत

बिजनेस में अच्छा पैसा और अनुभव कमाने के बाद उन्होंने साल 2005 में ‘गौरव स्वीट्स’ की नींव रखी। उन्होंने सिर्फ एक या दो मिठाई पर ध्यान नही दिया। इसके बजाय उन्होंने वैरायटी पर ध्यान दिया। मिठाई के साथ-साथ उन्होंने नमकीन, सेव, चिप्स जैसे उत्पाद भी लॉन्च किये ताकि ग्राहकों को कहीं और न जाना पड़े। बाद में अपने आउटलेट में उन्होंने लोगों के लिए खाने के विकल्प भी रखे जैसे पावभाजी, वडा पाव आदि। अपने मेहनत के बदौलत आज वह करोड़ो कमा रहे हैं। उन्होंने अपने गांव के लोगों को भी अपने बिज़नेस में काम पर रखा है। आज उनके कारण लगभग 350 घर का पालन-पोषण हो रहा है।
विरल का खेती पे भी ध्यान

विरल पटेल का कच्छ में लगभग 200 एकड़ जमीन है, जिस पर सिर्फ जैविक खेती की जा रही है। उनके खेतों पर गौपालन भी होता है। इन सबकी देखभाल के लिए उन्होंने गांव के लोग ही करते हैं। आज विरल पटेल दूसरे शहरों में भी अपने आउटलेट खोलने के विचार में हैं। आज विरल पटेल ने अपनी मेहनत के दम पर अपनी किस्मत बनाई है।
विरल पटेल से लोगों को सिख लेने की आवश्यकता है। अपने मेहनत के बदौलत उन्होंने अपने सफलता की कहानी लिखी है।