समाज सेवा की चाह रखने वाला व्यक्ति हमेशा समाज के उत्थान के बारे में सोचता है। अपने समाज के साथ-साथ देश का विकास कैसे हो यह चाह रखने वाले व्यक्ति आजकल बहुत कम हैं।
आज हम आपको एक ऐसे ही व्यक्ति श्री महेश शर्मा के बारे में बताएंगे जो पिछले 20 सालों से आदिवासी समुदायों के उत्थान और उनके भावी भविष्य के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन समाज सुधार और मानव सेवा करने के नाम समर्पित कर दिया है। आइये जानते है इनके बारे में।
बचपन था कठिनाई से भरा
झाबुआ के गांधी कहे जाने वाले दतिया जिले के घूघसी गांव में जन्मे श्री महेश शर्मा का बचपन काफी कठिनाइयों से भरा था। प्राइमरी पास करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए उनके गांव में कोई स्कूल नहीं था तो उन्हें दतिया शहर आना पड़ा। दतिया आने के बाद भी उनकी मुश्किलें कम नहीं हुईं। उनके पास किराए का कमरा लेने के भी पैसे नहीं थे।
पढ़ाई के बाद सेवा की भावना
महेश शर्मा ने दतिया में कक्षा छह से लेकर 12वीं तक पढ़ाई की। इसके बाद ग्वालियर से ग्रेजुएशन किया। पढ़ाई पूरी करने के बाद सेवा भाव का रास्ता चुना। जिसके लिए उनके पिता से उनके कई बार मतभेद भी हुए। लेकिन उन्होंने अपनी पिता की इच्छा के विपरीत किसी आम नौकरी को करने के बजाय समाज सेवा करने की ठानी
कई संस्था से जुड़े मेहश
महेश शर्मा, आर. एस. एस. के प्रचारक के रूप में भी कार्यरत रहे। जिसके चलते उन्हें सरस्वती विद्या प्रतिष्ठान का संगठन मंत्री बनाया। उन्होंने जनहितैषी व जनजागरूकता के लिए अभियान चलाया। लेकिन वह संतुष्ट नहीं थे। इसलिए उन्होंने हलमा के माध्यम से शिवगंगा अभियान की शुरूआत की। अभियान से अब तक 1 लाख 11 हजार जल संरचनाएँ जनभागीदारी से बनवाईं। हजारों वृक्ष लगाए। इसका नतीजा है कि करोड़ों लीटर पानी जमीन में उतरा और जलस्तर बढ़ गया।
आदिवासियों के लिए काम किया
महेश ने आदिवासी समुदाय की स्थिति देखकर उनके मन में उनके उत्थान के लिए विचार चलते रहते थे। 1998 में उन्हें मौका मिला, तो वह उनके बीच ही रच बस गए। महेश शर्मा ने जब पहली बार जल को सहेजने के लिए हलमा किया था, तो उसमें 800 लोग शामिल हुए थे। इसके बाद कारवां बढ़ता गया। आज उनके अभियान से बनीं जल संरचनाएं व लगाए गए 70 हजार से अधिक वृक्ष जंगल का रूप ले रहे हैं।
सरकार ने किया सम्मानित
कई गांवों और आदिवासी समुदायों की स्थिति बदलने वाले महेश शर्मा के सामाजिक कार्यों को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान में से एक ‘पद्मश्री’ सम्मान से सम्मानित किया है।