अगर हमारा इरादा पक्का हो तब कोई भी मंज़िल पाना मुश्किल नहीं है। सफलता किसी सुख-सुविधा की मोहताज नहीं होती है। देशल दान ने इस बात को अपनी कामयाबी से साबित भी कर दिया है। आज हम एक ऐसे चाय वाले के बेटे की बात करेंगे जिसने अपने परिश्रम से साल 2018 में आईएएस ऑफ़िसर बनकर पिता का नाम रौशन किया है।
देशल दान (Deshal Daan) की कहानी
देशल राजस्थान (Rajasthan) के जैसलमेर ज़िले के रहने वाले हैं। उनके पिता किसानी के साथ-साथ एक चाय की दुकान भी चलाते हैं और उनकी मां एक गृहिणी हैं। देशल 7 भाई-बहन हैं। कक्षा 10 तक देशल ने एक सरकारी हिंदी माध्यम स्कूल में पढ़ाई की। उसके बाद वह कोटा चले गए और वहां से उन्होंने इंजीनियरिंग परीक्षा की तैयारी की और IIT जबलपुर में दाखिला लिया। हालांकि हिंदी माध्यम से पढ़कर इंजीनियरिंग की परीक्षा में सफलता प्राप्त करना देशल के लिए आसान नहीं था।

यूपीएससी परीक्षा देने का फैसला
देशल बताते हैं कि उनके गांव के कुछ लोग राज्य सेवा और केंद्रीय सेवा में जुड़े हुए थे, जिससे उन्हें सिविल सेवा के बारे में पता चला। गांव के लोग उनका बहुत सम्मान किया करते थे। देशल के बड़े भाई ने 7 साल तक भारतीय नौसेना में सेवा की। वह देशल को आईएएस बनते देखना चाहते थे परंतु साल 2010 में आईएनएस सिंधुरक्षक में एक दुर्घटना में ड्यूटी के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। देशल बताते हैं कि यह मेरे जीवन का सबसे दुःखद पल था। इस दुर्घटना ने उनकी पूरी दुनिया ही बादल दी और उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा देने का निश्चय किया।

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देशल को परिवार से मिली प्रेरणा
देशल के परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। वह बताते हैं कि माता-पिता और बड़े भाइयों ने मेरी पढ़ाई के लिए बहुत कुछ किया है। देशल मानते हैं कि उनके बलिदान और कड़ी मेहनत से ही प्रेरित होकर वह जीवन में आगे बढ़ने में कामयाब हो पाए। उनके द्वारा किए गए कठिनाइयों और संघर्षों से उन्हें यह अहसास हुआ कि उनकी मेहनत की तुलना में पढ़ाई करना बहुत आसान है। देशल अपने कामयाबी का श्रेय अपने परिवार को देते हैं। देशल बताते हैं कि आईएएस बनने के बाद अपने पिता से मिलना एक बहुत ही व्यक्तिगत और भावनात्मक अनुभव था।

देशल परिवार के साथ को मानते हैं जरूरी
देशल का मकसद लोगों की सेवा करने का है। वह कहते हैं कि मैं हर संभव प्रयास करूंगा लोगों की सेवा करने का। देशल सेवा को सार्थक जीवन जीने का एक शानदार अवसर मानते हैं। देशल की यह कामयाबी युवाओं के लिए प्रेरणादायक है। देशल कहते हैं कि एक बार आप अपना लक्ष्य तैयार कर लें फिर कभी पीछे मुड़कर ना देखें, चाहें रुकवटे जितनी भी हो। अपने बीते हुए कल से प्रेरित होकर आगे बढ़ना चाहिए। देशल का मानना है कि जीवन में कुछ प्राप्त करने के लिए परिवार का साथ और उनका आशीर्वाद बहुत जरूरी है।