अगर कुछ करने का हौसला हो तो उम्र बीच में कभी नही आती है। बस कुछ करने का जज्बा होना चाहिए।
आज हम आपको एक ऐसे ही होनहार बच्चे के बारे में बताएंगे जिसने बहुत ही कम उम्र में एक ऐसे सोलर साइकिल का निर्माण किया है जिसे चलाने में एक पैसे का भी खर्च नही आएगा। आइये जानते है इसके बारे में।
नील शाह का परिचय
नील शाह वड़ोदरा के रहने वाले है। नील के पिता का नाम प्रद्युम्न शाह है। नील एक ऐसे होनहार लड़के है जिन्होंने 300 रुपए की एक कबाड़ साइकिल को सोलर साइकिल में तब्दील कर दिया है। उनके इस अविष्कार से उनके पिता प्रद्युम्न शाह के साथ-साथ उनके परिवार के लोग भी काफी खुश हैं। उनके पिता के अनुसार नील बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के रहे हैं। उनमें नई-नई चीजों को नया रूप देना बचपन से ही पसंद है।
सोलर पैनल के द्वारा बैटरी चार्ज
नील के इस साइकिल में सोलर पैनल भी लगा हुआ है जो बैटरी को चार्ज करता है। नील के इस साइकिल को डिजाइन करने में उनके एक शिक्षक ने उनकी मदद की है। नील अभी 18 वर्ष के हैं और बारहवीं कक्षा में पढ़ते है।
उन्होंने साधारण दिखने वाली साइकिल को एक आकर्षक साइकिल में बदल दिया है। एक बार चार्ज होने के बाद यह साइकिल 25 से 30 किलोमीटर का माइलेज देती है।
सोलर पैनल की अहम भूमिका
यह साइकिल मुख्य ऊर्जा स्रोत के रूप में सौर ऊर्जा का उपयोग करने के लिए काम करता है। इसमें 10 वाट का सोलर प्लेट और एक एम्पीयर की बैटरी लगी हुई है। यह सौर पैनल के कारण लगातार चार्ज हो जाता है और जब यह पूरा चार्ज रहता है तो इस साइकिल से 25 से 30 किलोमीटर तक की यात्रा आराम से की जा सकती है। यह साइकिल 80 से 90 किलोग्राम का भार आसानी से ले जा सकता है। यह साइकिल सूरज की रोशनी और पैडल के जरिए भी चार्ज होती है।
नील को विज्ञान पसंद

नील शाह को बचपन से ही विज्ञान काफी पसंद है। उनका पसंदीदा विषय विज्ञान रहा है। जब भी उनके विद्यालय में कोई प्रतियोगिता होती थी तो नील काफी उत्सुक रहते थे। एक बार उनके विद्यालय के ‘बेस्ट आउट ऑफ वेस्ट’ प्रतियोगिता में जहां दूसरे बच्चे घर या पेन स्टैंड बनाकर लाए थे। वहीं, कक्षा सातवीं में पढ़नेवाले नील ने बेकार पड़ी प्लास्टिक बोतल, कार्डबोर्ड और छोटी मोटर लगाकर एक हेलीकॉप्टर बनाया था। वह अपने स्कूल के शुरुआती दिनों से ही अव्वल रहे थे।
शिक्षक के कांसेप्ट पर किया काम

नील के भौतिकी विषय के एक शिक्षक संतोष कौशिक ने उन्हें सोलर पैनल से चलनेवाली एक साइकिल बनाने का कांसेप्ट उन्हें दिया था। इस कांसेप्ट पर नील ने काम करना शुरू किया। उन्होंने मात्र एक महीने में 300 रुपये की एक कबाड़ साइकिल को सोलर साइकिल में तब्दील कर दिया। यह देखकर उनके शिक्षक भी हैरान थे। नील ने इस साइकिल को नया रूप देने के लिए 12 हजार रुपये खर्च कर डाले। तब जाकर यह कबाड़ साइकिल अपने एक आकर्षक रूप में आया।
साइकिल में विशेष खूबी
इस साइकिल को अगर रात के समय चार्ज करना हो, तो इसमें लगा डायनेमो इसे चार्ज कर सकता है। नील आगे चलकर फिजिक्स साइंटिस्ट बनना चाहते हैं। वर्तमान में वह अपने बारहवीं के परीक्षाओं पर अपना ध्यान लगाना चाहते है। उनके इस नए साइकिल के अविष्कार के बाद उन्हें लगातार अन्य लोगों से इस साइकिल को बनाने के ऑर्डर आ रहे है। नील अपनी परीक्षा के बाद इस पर काम करना शुरू करेंगे। नील आगे भी नए-नए अविष्कार करते रहना चाहते हैं।
नील शाह आज लाखों छात्रों के लिए प्रेरणा बन गए है। उनकी जितनी तारीफ की जाए कम है।