हौसला बारूद रखते हैं,
वतन के कदमो मे जान मौजूद रखते हैं,
हस्ती तक मिटा दे दुशमन की
हम फौजी है फौलादी जिगर रखते हैं।
भारतीय सेना में अपने पराक्रम और साहस से एक नई ऊर्जा का संचार करने वाले जनरल बिपिन रावत जी आज हमारे बीच नहीं हैं। लेकिन उनकी बाहदूरी की गाथाएं आज भी हमारे बीच मौजूद हैं। भारतीय वायुसेना का एमआई-17 हेलीकॉप्टर 8 दिसंबर 2021 को तमिलनाडु के नीलगिरि जिले में कुन्नूर के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें सवार भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत जी, उनकी पत्नी और अन्य 13 वीरों की मौत हो गई। एक दर्दनाक हादसे में अमर होने वाले CDS जनरल बिपिन रावत जी ने अपने जीवनकाल में भारतीय सेना को पूरी शिद्दत से अपनी सेवाएं प्रदान की थी। आइये जानते हैं उनके बारे में।
पिता से हुए थे प्रेरित
उत्तराखंड के पौड़ी में जनरल श्री बिपिन रावत जी का जन्म एक सैन्य परिवार में हुआ था। उनके घर तक पहुंचने के लिए एक किलोमीटर का पहाड़ी रास्ता पैदल तय करना पड़ता है। जनरल बिपिन रावत जी का परिवार दशकों पहले देहरादून शिफ्ट हो गया था, लेकिन उन्हें अपने पैतृक गांव सैंण से इतना लगाव था कि वो हमेशा वहां आते रहते थे। उनके इस मिलनसार व्यवहार का पूरा गांव कायल था। बिपिन रावत जी अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी के ‘फौजी’ हैं। उनके पिता लेफ्टिनेंट जनरल (रि.) लक्ष्मण सिंह रावत जी भारतीय सेना के उप-प्रमुख रह चुके हैं। यह संयोग है कि पिता-पुत्र दोनों को 11वीं गोरखा रायफल्स की पांचवीं बटालियन में ही कमीशन मिला था।
सेना में जाने का निर्णय लिया
जनरल रावत जी की शुरुआती पढ़ाई देहरादून से हुई थी। उन्होंने कॉन्वेंट ऑफ जीसस एंड मेरी स्कूल से दूसरी कक्षा तक पढ़ाई की। आगे की पढ़ाई देहरादून के प्रतिष्ठित कैंब्रियन हॉल स्कूल और फिर शिमला के सेंट एडवर्ड स्कूल में हुई। उसके बाद नेशनल डिफेंस एकेडमी खड़कवासला और इंडियन मिलिट्री स्कूल देहरादून आए जहां उन्होंने सर्वश्रेष्ठ कैडेट को दिया जाने वाला स्वॉर्ड ऑफ ऑनर हासिल किया। उन्होंने वेलिंगटन के डिफेन्स सर्विसेज स्टाफ कॉलेज से स्नातक की डिग्री ली। जनरल रावत जी ने मद्रास विश्वविद्यालय से डिफेंस स्टडीज में एम.फिल और चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से मिलिट्री और मीडिया-सामरिक अध्ययन विषय पर पीएचडी भी की थी। बिपिन रावत जी का चयन मेडिकल में हुआ था लेकिन सेना के कौशल को देखते हुए उन्होंने अपने दादा और पिता की तरह आर्मी को ज्वाइन कर लिया।
कई सैन्य कार्रवाई किया
जनरल बिपिन रावत जी सेना में दिसंबर 1978 में शामिल हुए थे। उन्हें 11 गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन में कमिशन मिला था। इसके अलावा वो 5 सेक्टर राष्ट्रीय राइफल्स और कश्मीर घाटी में 19 इन्फेन्ट्री डिविजन की अगुवाई कर चुके हैं। ब्रिगेडियर के तौर पर उन्होंने कॉन्गो में यूएन पीसकीपिंग मिशन के मल्टीनैशनल ब्रिग्रेड की अगुवाई की थी। एक दिलेर अफसर के रूप में अनेक महत्वपूर्ण सैन्य कार्रवाईयों का नेतृत्व करने वाले जनरल बिपिन रावत जी ने सेना प्रमुख के रूप में बहुत से साहसिक फैसले लिए हैं जो सेना के जवानों और आम जनता के बीच उनकी खास छवी बनाते हैं।
लोगों का दिल जीता
जनरल बिपिन रावत जी के जीवन में अनेक ऐसे किस्से थे जहां उन्होंने लोगों का दिल जीता था। जब वह आर्मी चीफ बने तो उन्होंने सभी पूर्व जनरलों और जिन जनरलों का देहांत हो गया है उनकी पत्नियों को फोन किया और कहा कि यह मेरा फोन नम्बर है और मैं आपके लिए 24 घंटे उपलब्ध हूं। जब उन्होंने पूर्व जनरल बिपिन चंद्र जोशी की पत्नी को फोन किया तो वह भावुक हो गईं। उन्होंने कहा कि बिपिन जी आप पहले जनरल हैं जिसने हमें फोन किया है। जनरल बिपिन रावत जी हर छोटी-बड़ी चीज का ध्यान रखते थे।
सर्जिकल स्ट्राइक मास्टर प्लानर
जनरल श्री बिपिन रावत जी सेना के लिए रणनीति बनाने में माहिर थे। 04 जून 2015 को मणिपुर के चंदेल में नागा विद्रोहियों ने छापामार हमला करके 6 डोगरा रेजिमेंट के 18 भारतीय सैनिकों की हत्या कर दी। सेना ने जब सर्च ऑपरेशन चलाया तो ये विद्रोही म्यांमार में जाकर छुप गए। विद्रोहियों के बढ़ते हौसलों को कुचलने और सेना का मनोबल बढ़ाने के लिए सख्त कार्रवाई की दरकार थी। बतौर सेना की तीसरी कोर के प्रमुख ले। जनरल बिपिन रावत जी ने तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग के सामने नागा विद्रोहियों के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की योजना का विस्तृत खाका रखा।
सर्जिकल स्ट्राइक की भूमिका निभाई
गोरखा ब्रिगेड से सीओएएस बनने वाले चौथे अधिकारी बनने से पहले श्री बिपिन रावत जी थल सेनाध्यक्ष बने थे। उन्होंने पूर्वोत्तर में आतंकवाद को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसमें उनके करियर का एक मुख्य आकर्षण म्यांमार में 2015 का सीमा पार ऑपरेशन था। म्यांमार ऑपरेशन कई लिहाज से अलग था। कमांडो, सेना की 12 बिहार रेजीमेंट की वर्दी में अपने अभियान पर निकले थे, ताकि उन्हें देखकर यह अंदाजा न लगाया जा सके कि वे किसी रूटीन अभियान पर नहीं बल्कि किसी विशेष अभियान पर निकले हैं। दुश्मनों को चकमा देते हुए अचानक हमला करके चौंका देने की म्यांमार की सर्जिकल स्ट्राइक की रणनीति बहुत सफल रही थी। इस ऑपरेशन की सफलता ने ही साल 2016 में जम्मू-कश्मीर के उरी में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक की जमीन तैयार की।
पहले सीडीएस बने रावत
जनरल रावत जी का करियर उपलब्धियों से भरा रहा हुआ था। अपने चार दशकों की सेवा के दौरान जनरल रावत जी ने एक ब्रिगेड कमांडर, जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (जीओसी-सी) दक्षिणी कमान, सैन्य संचालन निदेशालय में जनरल स्टाफ ऑफिसर ग्रेड 2, कर्नल सैन्य सचिव और उप सैन्य सचिव के रूप में कार्य किया था। वह संयुक्त राष्ट्र शांति सेना का भी हिस्सा रहे हैं और उन्होंने कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में एक बहुराष्ट्रीय ब्रिगेड की कमान संभाली थी। अपने सैन्य सेवाकाल में जनरल बिपिन रावत जी को परम विशिष्ट सेवा मेडल, उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल और सेना मेडल जैसे कई सम्मानों से अलंकृत किया गया था।