कोरोना की वजह से हुए लॉकडाउन (Lockdown) में विद्यालय बंद होने के कारण लोगों से ज़्यादा दिक्कत बच्चों को पढ़ाई के कारण हुई। सारे लोग यही सोच रहे थे कि कब लॉकडाउन खत्म हो और उनके बच्चे फिर से अपने स्कूल जाना शुरू करें। लॉकडाउन के दौरान जहां बच्चों की पढ़ाई पर गहरा असर पड़ा वहीं दुर्ग शहर के रहने वाले एक बस ड्राइवर ने अपने साढ़े तीन साल के बेटे को घर पर ही पढ़ता रहा और आज वह एक चलता फिरता Google boy बन गया है।
मात्र साढ़े तीन साल में बना Google boy
एक बस ड्राइवर जो दुर्ग शहर के रहने वाले हैं। उन्होंने लॉकडाउन के दौरान अपने साढ़े तीन साल के बेटे को घर पर ही पढ़ा कर एक चलता-फिरता Google boy बना दिया। उस बच्चे का नाम हिमांशु सिन्हा है, जो मात्र साढ़े 3 साल की उम्र में एक या दो नहीं बल्कि एक हज़ार से ज़्यादा सवालों के जवाब बिना रुके दे सकते हैं। मात्र साढ़े 3 साल के बच्चे का दिमाग इतना तेज़ कैसे हो सकता है? पर यह सच है, हिमांशु को छत्तीसगढ़ के 90 विधायकों, राज्य और केंद्रीय मंत्रिमंडल से लेकर लगभग 50 से ज़्यादा देशों के नाम और उसकी राजधानी मुंह ज़ुबानी याद है। हिमांशु के पिता का नाम राजू सिन्हा हैं और वह आठवीं पास है। आठवीं पास होने के बावजूद, उन्होंने अपने बेटे की अद्भुत प्रतिभा को देखते हुए उसे एक चलता-फिरता इनसाइक्लोपीडिया बना दिया है।

जिस उम्र में बच्चा ठीक से बोल भी नहीं पाता, उस उम्र में हिमांशु ने अपनी तोतले आवाज़ में देश दुनिया, राजनीति, भूगोल, गणित और खेल से जुड़े कई सवालों के जवाब देते हैं, जो लोगों को अचंभित कर देता है। हिमांशु के पिता कहते हैं कि कोरोना की वजह से हुए लॉकडाउन में जब अचानक बस चलना बंद हो गए और मुझे घर पर बैठना पड़ा, तब मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं? ऐसे में मेरा बेटा अपनी कहानी की किताब लाकर मुझसे अपनी कहानी की किताब पढ़ने को बोलता। जब मैं उसे कहानी पढ़कर सुनाता तो वह बड़े ध्यान से मेरी सारी बातें सुनता। पढ़ाई में उसकी रुचि देख मैंने सोचा कि क्यों ना इस लॉकडाउन में अपने बेटे को पढ़ाना शुरू कर दूं।
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हिमांशु बाकी बच्चों से कुछ अलग था
हिमांशु के पिता ने बताया कि उन्हें 8 महीने की उम्र से ही यह एहसास हो गया था कि हिमांशु बाकी बच्चों से कुछ अलग है, क्योंकि वह जिस बात को एक बार सुन लेता, वह बात उसे महीनों तक याद रहती थी। हिमांशु के पिता ने बताया कि वह पहले छत्तीसगढ़ और फिर भारत की प्रसिद्ध चीज़ों के बारे में पढ़ाना शुरू किया। उन्होंने बताया कि उनकी पढ़ाई हुई चीज़ें जब उन्होंने दूसरे दिन पूछा तब हिमांशु ने बिल्कुल सही उत्तर दिया। उसके बाद उन्होंने सोचा कि क्यों ना एक ऐसा प्रश्न पत्र तैयार करुं, जिससे उनके बेटे का ज्ञानकोष बढ़ता चला जाए। मात्र एक साल में यह प्रश्न पत्र 1000 सवालों का बन गया। हिमांशु को सोते जागते इन सभी सवालों के जवाब याद रहते हैं। उनके पिता ने बताया कि टीवी में चल रही खबरों को देखकर नए सवालों को भी इसमें जोड़ता हूं।
बेटे को आगे पढ़ाने के लिए मदद की ज़रूरत
हिमांशु का दिमाग दूसरे बच्चों से सौ गुना ज्यादा तेज़ है। उसकी मेमोरी पावर को देखते हुए पिता ने उसे आगे पढ़ाने के लिए मदद मांगी है ताकि वह उसे आगे पढ़ा सकें। उनकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है, जितने भी पैसे उन्होंने कमाया था, वह इस लॉकडाउन के दौरान खर्च हो गई। ऐसे में उन्हें अपने बेटे को पढ़ाने की कोई सुविधा नज़र नहीं आती। उन्होंने कहा कि यदि सरकार इसमें कोई मदद करें तो आगे चलकर यह बच्चा केवल छत्तीसगढ़ का ही नहीं बल्कि पूरे देश का नाम रौशन कर सकता है।
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