हमारे दैनिक जीवन में आज आज बिजली कितनी जरूरी है इससे हम भली भांति परिचित हैं।
देश में कुछ दिनों से बिजली संकट गहराता जा रहा है। बिजली के कम रहने से लोगों की परेशानी बढ़ती जा रही है। इसके पीछे की वजह देश मे कोयले का स्टॉक खत्म होना है। कोयले के स्टॉक खत्म होने से देश के कुल पावर प्लांट में से लगभग आधे पावर प्लांट कोयले का स्टॉक अब पूरी तरह खत्म होने वाला है।
यूपी,बिहार में दिखने लगा है असर
बीजली संकट का यह असर अब यूपी समेत बिहार में भी दिखने लगा है। यूपी, बिहार के लोग कुछ दिनों से लगातार बिजली संकट से जूझ रहे हैं। राजस्थान,पंजाब के कुछ हिस्सों में भी अब बिजली की कटौती होने लगी है। देश के कोयले से चलने वाले कुल 135 पावर प्लांट में से 60 से ज्यादा ऐसे हैं, जहां कोयले का स्टॉक अब खत्म होने के कगार पर है। अगर ऐसा होता है तो पूरे देश में बिजली संकट उत्पन हो जाएगा।
बिजली कंपनी ने लोगों को किया सूचित
बिजली कंपनियों ने अब लोगों को यह सूचित करना शुरू कर दिया है कि देश बीजली संकट से जूझ रहा है। दिल्ली में सेवाएं दे रही टाटा पावर की इकाई ने अपने ग्राहकों को फोन पर संदेश भेजकर इसकी जानकारी दी है। कंपनी ने शनिवार दोपहर बाद से बिजली का विवेकपूर्ण उपयोग करने का आग्रह किया है। कंपनी को अपने ग्राहकों की चिंता भी हो रही है।
कितनी होती है कोयले की जरूरत
बिजली घर में हर घंटे प्रति मेगावाट बिजली के लिए औसत किस्म के 0.75 टन कोयले की जरूरत पड़ती है। यदि कोयला बेहतरीन किस्म का हुआ तो 0.60 टन लगेगा और यदि कोयला इन्फीरियर ग्रेड का होगा तो 0.85 टन कोयले की जरूरत पड़ती है। ऑस्ट्रेलिया का कोयला अच्छे किस्म का होता है इसलिए इस कोयले की उपयोगिता और बढ़ जाती है।
मिलाया जाता है ऑस्ट्रेलिया का कोयला
ऑस्ट्रेलिया के कोयले में बहुत हीट होती है। वहां का सबसे खराब कोयला भी, भारत में उत्पादित सबसे अच्छे कोयले से अच्छा होता है। इसलिए बीजली पैदा करने में भारत के कोयले में ऑस्ट्रेलिया का कोयला मिलाया जाता है। भारत अपनी कोयला डिमांड का 30 फीसदी देश के बाहर से पूरा करता है। भारत में कुल आयातित होने वाले कोयले का 70 फीसदी ऑस्ट्रेलिया से आता है।
इसलिए हम आपसे भी यह अपील करते है कि अभी कुछ दिनों तक बीजली का बेवजह उपयोग न करें। बीजली संकट को खत्म करने में सहयोग करें।