मध्य प्रदेश के किसान नए कृषि कानून के कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को लेकर फैलाए जा रहे भ्रम का मुंह तोड़ जवाब है, जो कई सालों से इसके तहत खेती कर रहे हैं।कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के तहत इंदौर ज़िले के 2 गांव के किसान आलू की खेती कर रहे हैं। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की वजह से किसानों के मुनाफे में निश्चिंतता आई है। किसान बेफिक्र रहते हैं क्योंकि इनका दाम पहले से ही तय रहता है। चिप्स कंपनियां अपने उत्पाद को लेकर काफी चिंतित रहती है, इसकी वजह से बीज से लेकर मिट्टी परीक्षण तक का ज़िम्मा उठाती है।
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से आलू की खेती
बाज़ार में आलू की बिक्री पर एक फायदा यह भी है कि 60 किलो के बैग पर 1 किलो का वजन काटा जाता है, और कंपनी से कॉन्ट्रैक्ट पर सिर्फ 100 ग्राम वजन ही कटता है। इंदौर में 200 से अधिक किसान इसी नियम से आलू उगा रहे हैं। वही छिंदवाड़ा के उमरेठ, चौराई, बिछुआ और मोहखेड़ा ब्लॉक में 9 साल से आलू की कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की जा रही है।

कैसे होता है मुनाफा?
एक व्यक्ति के पास 30 बीघा ज़मीन है। वह 3 साल से कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के तहत मुनाफा ले रहे हैं। उनका कहना है कि उसे पता होता है कि कितने दाम पर कांट्रेक्ट करने से मुनाफा होगा और उसी हिसाब से कंपनी से दाम तय किया जाता है। वह निश्चिंत हो जाते हैं, कंपनी ही बीज उपलब्ध कराती है और मिट्टी परीक्षण भी कंपनी ही करवाती है। किसानों के लिए बाज़ार में मिलने वाले बीजों से अच्छे गुणवंत बीज कंपनी उपलब्ध करवाती है। मिट्टी परीक्षण से भी संबंधित सारी गतिविधियां कंपनी ही करवाती है।
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किसान रहते हैं निश्चिंत
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के तहत किसानों को खेती करने से काफी ज़्यादा मुनाफा होता है, क्योंकि कांट्रैक्ट फार्मिंग के तहत पहले से ही दाम तय रहता है, जिसकी वजह से किसान निश्चिंत रहते हैं।अन्य किसान बाज़ार भाव के कम होने से चिंतित रहते हैं। वही कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के तहत जो किसान खेती कर रहे हैं, उन्हें इस बात का कोई चिंता नहीं रहती है।कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के तहत खेती करने वाले किसानों को बाज़ार भाव ज़्यादा हो तो भी फायदा ही मिलता है।

किसानों को कंपनी बीज देती है, अगर किसी कारणवश बीज खराब हो जाए तो कंपनी की ओर से क्लेम देने की व्यवस्था भी है।कंपनी की ओर से कृषि विज्ञानी फसल का निरीक्षण करने आते हैं।
गांव के कई किसान कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कर रहे हैं। सभी को फायदा हो रहा है। कई साल से इस कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के तहत किसान खेती कर रहे हैं लेकिन अभी तक एक भी शिकायत नहीं आई है।