इस दुनिया में कई ऐसे लोग है जिन्होंने समाज के लिए बहुत कुछ किया है। समाज के लोगों के लिए ही जीना उनका परम् कर्तव्य बन चुका है। उन्हीं में से एक हैं नेपाल की मदर टेरेसा उर्फ ‘दीदी’ कही जाने वाली श्रीमती अनुराधा कोइराला जी।
जिन्होंने 12 हजार से भी अधिक लड़कियों को मानव तस्करी और देह व्यापार के चंगुल से बचाने का सराहनीय कार्य किया है। आइये जानते हैं उनके बारे में।
लड़कियों की आवाज़ बनीं
साल 1949 में बंगाल के एक सामान्य परिवार में जन्मीं अनुराधा कोइराला ने अपनी जिंदगी का काफी समय नेपाल में ही बिताया है। अनुराधा कोइराला जी पेशे से शिक्षिका हैं। लेकिन उन्होंने समाज सेवा को ही अपना लक्ष्य बना रखा है। उन्होंने 1993 में अपने घर में ‘मैती नेपाल’ की शुरुआत की थी जिसका अर्थ ‘नेपाल मेरी मां’ है। इस एनजीओ का मकसद मानव तस्करी का शिकार हो रही लड़कियों और बच्चियों को बचाना था।
कई सालों से यह नेक काम
अनुराधा कोइराला जी 20 सालों से महिलाओं के लिए आवाज़ उठा रही हैं। वो देह व्यापार और मानव तस्करी में लिप्त होने से मासूम बच्चियों की रक्षा करती हैं। जिसका नतीजा है कि आज पूरा नेपाल उन्हें नेपाल की मदर टेरेसा के नाम से संबोधित करता है। महिलाओं से साथ हो रहे घरेलू हिंसा, बलात्कार, यौन शोषण, खरीद फरोख्त जैसी घटनाओं को देखते हुए उन्होंने यह काम शुरू किया।
बच्चियों को तस्करी से मुक्त किया
श्रीमती अनुराधा कोइराला जी अब तक 12 हजार से भी अधिक महिलाओं और बच्चियों की रक्षा कर चुकी हैं। अनुराधा जी ने औरतों के खिलाफ हिंसा और लड़कियों की खरीद-फरोख्त के खिलाफ अपनी लड़ाई लड़ने के लिए शुरूआत में गांव-गांव जाना शुरू किया। वहां उन्हें पता चला कि यहां से कई लड़कियों को घरेलू नौकरी और हस्तांतरण के नाम पर देह व्यापार में लिप्त कर दिया जाता है। उनका शारीरिक और मानसिक शोषण किया जाता है। जिसके बाद उन्होंने इसके खिलाफ लड़ाई लड़ी और कई लोगों को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया। यही नहीं वो इन महिलाओं को अपने एनजीओ के तहत सिलाई-बुनाई जैसी चीजें भी करना सिखाती हैं
मदर टेरेसा के नाम से प्रसिद्ध
श्रीमती अनुराधा कोइराला जी ने अपनी पूरी जिंदगी उन औरतों और बच्चियों के नाम कर दी है। यही कारण है कि नेपाल में महिलाएं उन्हें दीजू यानी दीदी कहकर संबोधित करती हैं। अमेरिका में उन्हें 2010 में ‘सीएनएन हीरो अवार्ड’ और साथ में 60 लाख रुपए से ज्यादा की मदद दी गई। अनुराधा कोइराला जी के कार्यों को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें देश के चौथे सर्वोच्च सम्मान पद्मश्री से भी सम्मानित किया है।
आज वो महिलाओं के लिए किसी भगवान से कम नही हैं।